मोदी सरकार के अंतिम दौर में अर्थव्यवस्था के लिए एक और चिंताजनक खबर सामने आई है. अप्रैल महीने में देश के सर्विस सेक्टर में ग्रोथ सात महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है.
जहां नए कारोबार का धीमा रहना और चुनाव की वजह से आने वाले व्यवधानों की वजह से सर्विस सेक्टर के ग्रोथ में गिरावट आई है. एक अंतरराष्ट्रीय सर्वे में यह जानकारी सामने आई है.
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देखा जाये तो सर्वे में चुनाव बाद आर्थिक हालात बेहतर होने का अनुमान जताया गया है जिससे सेवा क्षेत्र का आगामी परिदृश्य सकारात्मक नजर आता है और यह रोजगार को भी बढ़ावा देने में मदद करेगा.
बता दें की निक्केई इंडिया सर्विसेस बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स (पीएमआई) अप्रैल में 51 अंक पर रहा जो मार्च में 52 अंक पर था. यह पिछले साल सितंबर के बाद का सबसे निचला स्तर है. हालांकि, पीएमआई का 50 अंक से ऊपर रहना गतिविधियों में विस्तार और 50 अंक से नीचे से रहना गतिविधियों में गिरावट को दिखाता है.
लेकिन इस प्रकार अप्रैल में सेवा गतिविधियों में विस्तार तो हुआ है, लेकिन वह पिछले सात महीने की तुलना में में सबसे निचला स्तर है, जबकि यह लगातार 11वां महीना है जब सेवा क्षेत्र 50 अंक से ऊपर रहा है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आईएचएस मार्किट की चीफ इकोनॉमिस्ट और इस रिपोर्ट की लेखिका पॉलीयाना डी लीमा ने कहा कि भारतीय निजी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था धीमी वृद्धि दर के दौर से गुजर रही है.
जहां इसकी एक बड़ी वजह चुनावों के कारण आया व्यवधान है. सरकार बन जाने के बाद कंपनियों के हाल में आमतौर पर सुधार देखा जाएगा. देश में आम चुनाव 11 अप्रैल से शुरू हुए हैं और इसका परिणाम 23 मई को आएगा.
दरअसल एक सकारात्मक बात यह है कि अप्रैल महीने के दौरान सर्विस प्रोवाइडर्स ने ज्यादा लोगों को रोजगार दिया है. नए कामकाज में सुधार और आगे ग्रोथ की अच्छी संभावना को देखते हुए सर्विस सेक्टर में रोजगार बढ़ा है.
लेकिन दूसरी तरफ, निक्केई इंडिया कम्पोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स में भी गिरावट आई है और यह मार्च के 52.7 से घटकर अप्रैल के 51.7 तक ही रह गया. यह सूचकांक मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस इंडस्ट्री दोनों का एक साथ आकलन पेश करता है. सर्वे के अनुसार कच्चे माल और उत्पादन दोनों की लागत कम रही है.