आज का सुविचार : चाणक्य नीति के अनुसार, महिलाओं के स्वभाव में पाए जाते हैं ऐसे लक्षण

आचार्य चाणक्य बहुत गुणवान और विद्वान व्यक्तित्व के थे। चाणक्य शिक्षक के साथ ही एक कुशल अर्थशास्त्री भी थे। इसके लिए चाणक्य ने पूरी निष्ठा से गहन अध्ययन किया था। चाणक्य ने अपने कौशल और बुद्धि के बल से जीवन में सफलता प्राप्त करने की कई नीतियां बनाई थीं। चाणक्य द्वारा बनाई गई उन सभी नीतियों का संग्रह चाणक्य नीति शास्त्र में है। चाणक्य ने महिलाओं के सोच और वे किस समय किस तरह से बर्ताव करती हैं, इन बातों पर खास अध्ययन किया है आज हम चाणक्य के इसी नीति के बारे में बताएंगे..

चाणक्य बताते हैं कि स्त्रियों के सामान्य लक्षण के अलावा चाणक्य ने उनकी कुछ ऐसी बातों को भी नीति शास्त्र में सामने रखा है, जो उन्हें शादी के लायक नहीं बनातीं। चाणक्य के अनुसार ऐसी कुछ स्त्रियां होती हैं, जिनसे भूलकर भी पुरुषों को शादी नहीं करनी चाहिए। आचार्य चाणक्य के अनुसार सुंदरता ही सब कुछ नहीं होती। यदि कोई पुरुष केवल स्त्री की सुंदरता देखकर उसे परखता है और उसी के आधार पर उसे पसंद करके विवाह कर लेता है, तो उससे बड़ा मूर्ख इस पूरे जग में कोई नहीं है। विवाह के लिए स्त्री के संस्कार, उसका स्वभाव, उसके लक्षण, उसके गुण-अवगुणों के बारे में जानना चाहिए। इन सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद ही स्त्री का विवाह के लिए चुनाव करना चाहिए। अन्यथा सुंदरता के आधार पर गलत चुनाव करने से वैवाहिक जीवन सुखी नहीं रहता।

चाणक्य बताते हैं कि महिलाएं भरोसा करने लायक नहीं होतीं। यह पढ़कर शायद आपको गुस्सा आ रहा हो, लेकिन उनके ऐसा कहने के पीछे भी ठोस वजह शामिल हैं। चाणक्य के अनुसार महिलाओं के स्वभाव में ही ऐसे लक्षण पाया जाता हैं जो उन्हें भरोसे लायक नहीं बनाने देता। ऐसा इसलिए क्योंकि वे कोई भी बात अपने तक ज्यादा देर तक सीमित नहीं रख सकती है। अपनी बात दूसरे तक ले जाना उनकी आदत होती है। इसलिए आप उनसे जो भी बात करेंगे वह दूसरे व्यक्ति तक न पहुंचे इस बात की गारंटी कम होती है। इसलिए चाणक्य महिलाओं को भरोसेमंद नहीं मानते है।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अच्छे संस्कारों वाली स्त्री घर को स्वर्ग बना देती है, वह पति और उसके पूरे परिवार का ख्याल रखती है लेकिन बुरे संस्कारों वाली स्त्री सब तहस-नहस कर देती है। चाणक्य के अनुसार यदि स्त्री सुंदर नहीं है लेकिन उसके संस्कार अच्छे हैं तो पुरुष को उससे विवाह कर लेना चाहिए। क्योंकि यही वह स्त्री है जो उसके भविष्य को सुखद बनाएगी। ऐसी स्त्री उसे एक श्रेष्ठ परिवार देगी। लेकिन इसके जगह यदि ऐसी स्त्री को चुन लिया जाए, जो संस्कारी नहीं है और परिवार की अहमियत नहीं समझती तो ना केवल शादी बल्कि सभी रिश्ते-नाते टूट जाते हैं। ऐसी स्त्री अधार्मिक होती है, वह रिश्तों पर विश्वास नहीं करती। पल-पल वह रिश्तों को तोड़ने का विचार करती है। ऐसी स्त्री परिवार के सुख के बारे में विचार नहीं करती, बल्कि सभी को दुख पहुंचाती है।

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