जीएसटी ने ‘एक देश, एक कर’ के सपने को पूरा किया : जेटली

अरुण जेटलीनई दिल्ली| केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक के पारित होने के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था के एकीकरण का सपना सच हो गया। जेटली ने इस ‘ऐतिहासिक’ सुधार की कल्पना करने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को भी दिया और कहा कि उसे कांग्रेस ने आगे बढ़ाया।

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यहां तालकटोरा स्टेडियम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा, “वाजपेयी सरकार द्वारा 2003 में गठित समिति ने जीएसटी का विचार पेश किया था और सिफारिश की थी कि सभी करों को मिलाकर एक कर होना चाहिए।”

जेटली ने कहा, “इसके बाद जब सरकार बदली तो उसके बाद वित्त मंत्री बने पी. चिदंबरम को भी इसमें कुछ अच्छाई दिखाई दी और उन्होंने जीएसटी को लागू करने के लिए 2010 का लक्ष्य रखा, लेकिन वे इस सुधार को ला नहीं सके।”

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वित्त मंत्री ने कहा कि यहां तक कि प्रणब मुखर्जी ने जीएसटी लाने के लिए संविधान संशोधन प्रस्ताव पेश किया, लेकिन तब भी इसे विधेयक के तौर पर पारित नहीं किया जा सका, क्योंकि तब इसमें उपभोग करने वाले राज्यों का तो समर्थन किया गया था, लेकिन निर्माता राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई की व्यवस्था नहीं थी।

जेटली ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पहले दिन से भारत को आर्थिक तौर पर संघटित करने के लिए दिखाई गई दृढ़ता का नतीजा है कि आज जीएसटी हकीकत बनी।

उन्होंने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर द्वारा जीएसटी अपनाए जाने के साथ ही सच्चे मायनों में देश का आर्थिक एकीकरण हुआ है।

जेटली ने कहा, “सरदार वल्लभभाई पटेल ने देश के भौगोलिक एकीकरण के लिए काम किया और उसे पूरा किया। लेकिन देश में आर्थिक नियम-कानून हर राज्य के लिए अलग-अलग बने हुए थे। 70 वर्षो के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेहद लगन के साथ काम किया और सभी राज्यों को 17 अलग-अलग तरह के करों और 23 तरह के अधिभारों को खत्म करने तथा जीएसटी को अपनाने के लिए सहमत किया।”

जेटली ने कहा कि केंद्र सरकार ने जम्मू एवं कश्मीर सहित किसी भी राज्य पर अपने फैसले का दबाव नहीं बनाया, बल्कि उन्हें जीएसटी न अपनाने से कारोबार और राजस्व में होने वाले घाटे से अवगत कराया।

उन्होंने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में जीएसटी विधेयक को पारित किए जाने के बाद ‘एक राष्ट्र, एक विधान’ का सपना देखने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी (भाजपा के मूल संगठन भारतीय जन संघ के संस्थापक) की आत्मा को शांति मिल गई होगी।

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