अयोध्या दौरे पर ठाकरे ने बीजेपी पर साधा निशाना – 10 बार जाएं तब भी राम मंदिर पर कुछ नहीं होगा…

एनडीए की सहयोगी पार्टी शिवसेना लगातार राम मंदिर मुद्दे को लेकर बीजेपी पर हमलावर रही है. शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे इस मुद्दे पर अपनी सक्रियता दिखाते हुए लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या का दौरा भी कर चुके हैं और अब एक बार फिर वह अपने नवनिर्वाचित सांसदों के साथ अयोध्या जाने की तैयारी में हैं.

ठाकरे

ठाकरे की इस योजना पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने शनिवार को चुटकी ली है. अठावले ने कहा, “यदि ठाकरे 10 बार अयोध्या जाएं तो भी राम मंदिर में कोई मदद तब तक नहीं मिलेगी, जब तक सर्वोच्च न्यायालय का फैसला नहीं आ जाता.

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शिवसेना के नेताओं ने मुंबई में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के अध्यक्ष के बयान पर प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वे इस पर उचित समय पर टिप्पणी करेंगे.

 

देखा जाये तो अठावले ने कहा, “यदि ठाकरे अपने नवनिर्वाचित सांसदों को अयोध्या घुमाना चाहते हैं तो ठीक है, लेकिन इससे राम मंदिर निर्माण में किसी रूप में मदद नहीं मिलने वाली है.” उन्होंने कहा कि राम मंदिर तभी बनेगा, जब सर्वोच्च न्यायालय का इस मामले में फैसला आएगा, और इसके अलावा ठाकरे चाहे 10 बार अयोध्या जाएं तो भी कुछ नहीं होने वाला है.

लेकिन इसके साथ ही अठावले ने अपनी व्यक्तिगत इच्छा जाहिर करते गुए कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर बहुत इच्छुक हैं कि राम मंदिर जल्द से जल्द बन जाए, लेकिन सभी को इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार करना होगा, जिससे राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होगा.

 

बता दें कि ठाकरे ने अपने सभी नवनिर्वाचित सांसदों के साथ 16 जून को अयोध्या जाने का निर्णय लिया है. नवंबर माह के अंत में भी अयोध्या में डेरा डाल केंद्र सरकार को घेरा था, चुनाव बीतते ही एक बार फिर अयोध्या जाने की तैयारी में हैं.

 

दरअसल शिवसेना प्रमुख कई बार राम मंदिर से जुड़े बयान देते रहे हैं, चुनाव से पहले तल्ख तेवर दिखाते हुए उन्होंने कहा था कि पूरा देश इंतजार कर रहा है कि राम मंदिर का निर्माण कब होगा. हम कब तक इंतजार करते रहेंगे. उद्धव ने सीएम योगी के बयान को आधार बनाकर कहा था कि वह कहते हैं कि वहां मंदिर था, है और रहेगा.

जहां  हमारी धारणा है कि मंदिर दिखना भी चाहिए. उसके लिए कानून बनाएं, अध्यादेश लाएं, कुछ भी करिए लेकिन मंदिर जल्द बनाइए. ठाकरे केवल चुनाव के समय ही मंदिर मुद्दा उठाने और इसके बाद कोई प्रयास नहीं करने के लिए बीजेपी की आलोचना करती रही है.

 

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