अमेठी में नही खिल सका कमल , 18 चुनाव में 16 बार जीती है कांग्रेस

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अमेठी की सियासी मिट्टी ऐसी है, जो सिर्फ एक बीज को पहचानती है। इसलिए चुनाव के मौसम में जब गांधी परिवार का बीज डाल दिया जाता है तो आसपास विपक्षी दलों की सारी फसलें नष्ट हो जाती और कांग्रेस की फसल काटी जाती है। देखा जाये तो गांधी परिवार के सदस्य यहां रिकॉर्ड मतों से जीतकर संसद में पहुंचते रहे हैं।

कांग्रेस

बता दें की देश में मोदी की लहर जितनी भी नजर आए, लेकिन यह लहर अमेठी सीमा पर आकर खत्म हो जाती है और यहां गांधी परिवार की जड़ें काफी मजबूत हैं, तभी तो 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर पर सवार बीजेपी कमल खिलाने से महरूम रह गई है।

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लेकिन राहुल गांधी के सामने बीजेपी ने स्मृति ईरानी और AAP ने कुमार विश्वास को मैदान में उतारा था। जहां कांग्रेस को मात नहीं दे सके। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अमेठी में बीजेपी की स्मृति ईरानी घेरने की कवायद पिछले पांच साल से लगातार कर रही हैं।

खबरों के मुताबिक राहुल गांधी अमेठी से लगातार तीसरी बार सांसद हैं। और 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को 408,651 वोट मिले थे। जबकि बीजेपी की उम्मीदवार स्मृति ईरानी को 300,74 वोट मिले थे। जहां इस तरह जीत का अंतर 1,07,000 वोटों का ही रह गया। जबकि 2009 में कांग्रेस अध्यक्ष की जीत का अंतर 3,50,000 से भी ज्यादा का रहा था।

अमेठी लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें अमेठी जिले की तिलोई, जगदीशपुर, अमेठी और गौरीगंज सीटें शामिल हैं। जबकि रायबरेली जिले की सलोन विधानसभा सीट आती है।

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में 5 सीटों में से 4 सीटों पर बीजेपी और महज एक सीट पर एसपी को जीत मिली थी. हालांकि सपा-कांग्रेस गठबंधन करके चुनाव मैदान में उतरी थी, फिर भी जीत नहीं सकी थी। सपा ने तो गौरीगंज सीट जीत ली, लेकिन कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली है।

अमेठी संसदीय सीट को कांग्रेस का दुर्ग कहा जाता है । इस सीट पर अभी तक 16 लोकसभा चुनाव और 2 उपचुनाव हुए हैं। इनमें से कांग्रेस ने 16 बार जीत दर्ज की है। वहीं, 1977 में लोकदल और 1998 में बीजेपी को जीत मिली है। जबकि बसपा और सपा अभी तक अपना खाता नहीं खोल सकी है।

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