अमाल मलिक बताया किस अनुपात में रखते हैं मौलिक संगीत और रीमिक्स

नई दिल्ली। बॉलीवुड में कुछ वर्षो पहले चढ़ा रीमिक्स गानों का बुखार थमने का नाम नहीं ले रहा और फिल्मों में इन दिनों रीमिक्स की बाढ़ आ गई है।

नए और मौलिक प्रयोगों से ज्यादा रीमिक्स और रीमेक पर बढ़ते बॉलीवुड के भरोसे के बारे में बेबाकी से अपनी बात रखने वाले संगीतकार अमाल मालिक का कहना है कि वह अपने करियर में मौलिक संगीत और रीमिक्स को 80:20 के अनुपात में रखने में विश्वास रखते हैं और हमेशा वही रीमिक्स प्रोजेक्ट लेते हैं, जिनमें उन्हें लगता है कि अपना रचनात्मक योगदान दिया जा सकता है।

माधुरी दीक्षित के सुपरहिट गाने ‘एक-दो-तीन’ से लेकर ‘ऊंची है बिल्डिंग’, ‘टन टना टन’, ‘लैला मैं लैला’, ‘दिल क्या करे’, ‘छम्मा-छम्मा’, ‘पैसा ये पैसा’.. नए कलेवर में पेश किए गए पुराने गानों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है।

यहां तक कि फिल्म ‘सिंबा’ के गाने ‘आंख मारे’ की शुरुआत में करण जौहर जो खुद अपनी फिल्मों में रीमिक्स पेश कर चुके हैं, कहते नजर आ रहे हैं, ‘ओह गॉड वन मोर रीमिक्स’। ट्रेड पंडितों का मानना है कि साल 2019 में भी रीमिक्स गानों की भरमार रहेगी।

खुद भी कई रीमिक्स बना चुके अमाल ने इस चलन के बारे में पूछे जाने पर आईएएनएस से साक्षात्कार में कहा, “मैं सचमुच मानता हूं कि इसकी बाढ़ आ गई है। हर एल्बम में आज रीमिक्स की भरमार होती है और यह चलन सचमुच चिंतनीय है।

फिल्म संगीत, मौलिक संगीत के जरिये मूल पटकथा के भावों को बयां करने का एक माध्यम हुआ करता था। अगर रीमिक्स की संख्या सीमित रखी जाए तो सही होगा।”

उन्होंने कहा, “मैं मानता हूं कि उन्हें स्वंतत्र रूप से रिलीज करना ज्यादा बेहतर है, जैसा कि 90 के दशक में हुआ करता था। मैं अपने करियर में मौलिक संगीत और रीमिक्स को 80:20 की मात्रा में रखने में विश्वास रखता हूं।

मैं हमेशा वही रीमिक्स प्रोजेक्ट लेता हूं, जिनमें मुझे लगता है कि मैं अपना रचनात्मक योगदान दे सकता हूं। मुझे लगता है कि किसी भी पुराने गीत को हूबहू रिलीज करना नासमझी है।”

भारतीय संगीत के परिप्रेक्ष्य में अमाल को कौन-सी चीज नापंसद है, जिसमें वह बदलाव चाहते हैं? इस प्रश्न पर उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि संगीत उद्योग के तौर पर दिन-ब-दिन हमारा डर बढ़ता जा रहा है। किसी के भी मौलिक संगीत पर भरोसा कम होता जा रहा है, किसी गाने के लिए जिनसे मंजूरी लेनी पड़ती है, उन लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।

इन सभी चीजों का गानों की क्वालिटी पर बेहद असर पड़ता है। मैं सचमुच चाहता हूं कि यह स्थिति बदले। फिर हम नए प्रयोग कर पाएंगे और हर एल्बम के साथ अपने श्रोताओं को कुछ नया दे पाएंगे।”

क्या भारतीय श्रोताओं की पसंद बदल रही है? जवाब में अमाल ने कहा, “मैं हमेशा से मानता रहा हूं कि हमारे दर्शकों में उन कलाकारों को पहचानने का हुनर है, जिन्हें वे सुनना चाहते हैं। हम एक ऐसे देश में रहते हैं जहां ए.आर रहमान, प्रीतम जैसे कम्पोजर हैं, तो वहीं यो यो हनी सिंह जैसे रैपर भी हैं, क्योंकि हमारे श्रोताओं को जो संगीत परोसा जा रहा है।

उसे वे अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं, और अपनी पसंद के अनुसार चुन सकते हैं। हां, मैं कहूंगा कि दर्शकों का रुझान बदला है। मुझे लगता है कि आज के श्रोताओं को अच्छा संगीत पसंद आता है, चाहे वह कहीं से भी आता हो और वे विविध प्रकार के संगीत को आजमाने लगे हैं।”

सलमान की फिल्म ‘जय हो’ से करियर की शुरुआत करने वाले अमाल बहुत ही कम समय में संगीत जगत में अपनी पहचान बना चुके हैं। उनका कहना है कि अगर उन्हें मौका मिलता तो वह ‘दाग’ फिल्म का ‘ऐ मेरे दिल कहीं और चल’ कम्पोज करना चाहते।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह गीत इतना प्रासंगिक रूप से तैयार किया गया है कि आज के संगीत के दौर में भी वह उतना ही अर्थ रखता है। यहां मैं इसका संगीत रचने वाले शंकर-जयकिशन और गीतकार शैलेंद्र का नाम जरूर लेना चाहूंगा।”

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आइफा, स्टार स्क्रीन अवॉर्ड, सोनी गिल्ड, फिल्मफेयर अवॉर्ड और यहां तक कि दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड तक जीत चुके युवा संगीतकार अमाल ने अपने आने वाले प्रोजेक्ट्स के बारे में बताते हुए कहा, “मैं अकीव अली के अगले प्रोजेक्ट ‘दे दे प्यार दे’ के कई गानों पर काम कर रहा हूं, जिसके निर्माता लव रंजन हैं।

इसके अलावा मैं सायना नेहवाल की बायोपिक पर काम को लेकर भी काफी उत्साहित हूं। इसके लिए मेरे पास कई गाने हैं जो फिल्म की पटकथा के बिल्कुल अनुकूल हैं।”

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