अब रोजगार बढ़ना हुआ मुश्किल , कारोबारी दुनिया में आई निवेश में कमी…

देश कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स और अब कटौती कर दी हैं. वहीं देखा जाये तो नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए टैक्स कि दरे घटकर 15 फीसदी हो गयी हैं. वहीं वित्त मंत्री का कहना था कि मेक इन इंडिया के लिए पूरा निवेश आएगा , रोजगार ऊंचे स्तर पर बढ़ेगा , लेकिन क्या सच साबित हो पाया हैं.

खबरों के मुताबिक    वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 सितंबर को देश की कंपनियों और नई घरेलू मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए काॅरपोरेट टैक्स में कटौती कर दी. नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए काॅरपोरेट टैक्स की दर 25 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी और बाकी सभी कंपनियों के लिए 30 से 22 फीसदी कर दी गई. वित्त मंत्री ने तब कहा था, ‘कर रियायतों से मेक इन इंडिया (मैन्युफैक्चरिंग) के लिए निवेश आएगा, रोजगार बढ़ेगा और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी जिससे सरकार को ज्यादा राजस्व हासिल होगा.’  लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है? आइए इसकी वास्तविकता की जांच करते हैं.

हरिद्वार से बड़ी खबर : गैस प्लांट स्थित कंपनी में लगी भीषण आग, 3 लोग झुलसे

अर्थव्यवस्था में बचत और निवेश के पैटर्न का विश्लेषण करते हुए रिजर्व बैंक ने 31 मार्च, 2019 की अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि निजी काॅरपोरेट सेक्टर की बचत पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ी है-वित्त वर्ष 2012 में जीडीपी के 9.5 फीसदी से बढ़कर यह वित्त वर्ष 2018 में जीडीपी के 11.6 फीसदी तक पहुंच गई. दूसरी तरफ, इसी दौरान काॅरपोरेट सेक्टर का निवेश (सकल पूंजी निर्माण) 13.3 फीसदी से घटकर 12.1 फीसदी रह गया है.

इसमें कहा गया हैः ‘हाल के वर्षों में निजी काॅरपोरेट सेक्टर की बचत-निवेश की खाई लगभग पट चुकी है और इसका ज्यादातर निवेश उसकी अपनी बचत से ही हो रहा है, जो इस बात का संकेत है कि ताजे निवेश के लिए भूख घट रही है.  रिजर्व बैंक ने इस बात की व्याख्या नहीं की है कि आखिर काॅरपोरेट सेक्टर में नए निवेश के लिए भूख क्यों खत्म हो गई है, लेकिन उसके आंकड़ों से इसका पता चल जाता है.

खबरों के मुताबिक आंकड़ों से पता चलता है कि निवेश के लिए कोई भी प्रोत्साहन या मांग नहीं है, क्योंकि खपत की मांग में लंबे समय से गिरावट आ रही है, जो कि मैन्युफैक्चरिंग वस्तुओं एवं सेवाओं के मामले में कमजोर क्षमता इस्तेमाल (CU) और उत्पादन से साफ जाहिर हो रहा है.

दरअसल क्षमता इस्तेमाल (सीयू) असल में किसी मौजूदा कारखाना आदि की क्षमता इस्तेमाल की मात्रा बताता है. आंकड़ों से पता चलता है कि इसमें गिरावट आ रही है और यह वित्त वर्ष 2013 के दौरान 70 से 75 फीसदी के निचले स्तर तक सीमित रही है. इसके पहले वित्त वर्ष 2010 और 20111 में ही यह 80 फीसदी के स्तर तक पहुंच पाया था.

LIVE TV