अब खतरे में कुमारस्वामी सरकार, क्या कर्नाटक में भी खिलेगा कमल?

कांग्रेस और जेडीएस के 14 विधायकों के इस्तीफे के नतीजतन गठबंधन सरकार के अल्पमत में आने के साथ कर्नाटक वैसी ही राजनीतिक अस्थिरता के मुहाने पर पहुंच गया है, जैसी अस्थिरता वहां सरकार गठन के तुरंत बाद देखी गई थी। हालांकि जेडीएस और कांग्रेस ने सरकार को बचाने की कवायद तो कर रही है, पर फिलहाल उनकी राह कठिन दिख रही है।

इस्तीफे मंजूर होते हैं तो सरकार गिरनी तय

कांग्रेस-जेडीएस के 13 बागी विधायकों ने शनिवार को इस्तीफा दे दिया था, और सोमवार को एक और निर्दलीय विधायक ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। इस्तीफे मंजूर हुए तो 224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा में सदस्यों की संख्या 209 रह जाएगी। ऐसे में बहुमत के लिए 105 विधायकों की जरूरत पड़ेगी। गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर अब 103 हो गई है। ऐसी स्थिति में सरकार अल्पमत में है। वहीं भाजपा के पास 105 विधायक हैं।

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स्थिति ने किया फैसला लेने पर मजबूर

कांग्रेस के एक और विधायक ने सोमवार को इस्तीफा देने की धमकी दी है। कर्नाटक के मंत्री एवं बीदर उत्तर के विधायक रहीम महमूद खान ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को अपनी समस्याओं के बारे में सूचित कर दिया है और उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वर के निवास पर बैठक के बाद फैसला लेने की बात कही। खान ने कहा कि वह बागी समूह के साथ नहीं जाना चाहते लेकिन स्थिति ने उन्हें फैसला लेने पर मजबूर किया है।

कांग्रेस-जेडीएस के मंत्रियों ने दिया इस्तीफा

बागी विधायकों को खुश करने की कोशिश में कांग्रेस के सभी मंत्रियों ने कांग्रेस अध्यक्ष को अपनी इस्तीफा सौंप दिया है। वहीं जेडीएस के मंत्रियों ने भी एचडी कुमारस्वामी को अपना इस्तीफा दे दिया है। इन सभी की जगह बागी विधायकों को मंत्री पद दिया जाएगा। कांग्रेस को उम्मीद थी कि मंत्रियों के इस्तीफे के बाद नाराज विधायक मान जाएंगे, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

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बागी विधायक के संपर्क में नहीं हैं

भाजपा नेता शोभा करंदलजे ने कहा, ‘हम निर्दलीय विधायक नागेश का स्वागत करते हैं। हम अपनी पार्टी में उन सभी का स्वागत करेंगे जो गैर राजनीतिक प्रेरणा से आएंगे। हम कांग्रेस-जेडीएस के किसी भी बागी विधायक के संपर्क में नहीं हैं।’

भाजपा राज्यपाल का नहीं करती इस्तेमाल

भाजपा नेता आर अशोक ने कांग्रेस के उस आरोप का जवाब दिया जिसमें कांग्रेस का कहना है कि भाजपा राज्यपाल कार्यालय का राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है, उन्होंने कहा, ‘जब कांग्रेस केंद्र में सत्ता पर थी तब वह राज्यपाल के दफ्तर का इस्तेमाल अपनी पार्टी के लिए करती थी। भाजपा में राज्यपाल दफ्तर के इस्तेमाल की संस्कृति नहीं है।’

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