
भारत में अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत फरीद मामुन्दजई ने बताया कि अमेरिका ने जब से अप्रैल के बाद अफ़ग़ानिस्तान से अपनी सेना को हटाने का ऐलान किया तब से अफ़ग़ानिस्तान में सुरक्षा हालात खराब हुए। 150 के आसपास ज़िलों में युद्ध के हालात है। तालिबान ने बहुत सारे ज़िलों को अपने कब्ज़े में ले लिया है। हमारी सेना कार्रवाई कर रही है। हमारी सेना ने पिछले 3 दिनों में 10 ज़िले वापस ले लिए हैं। उम्मीद है कि हम बाकी ज़िलों को भी वापस ले लेंगे। अगले कुछ हफ्तों में हालात बदलेंगे।

उन्होंने बताया कि तालिबान को पाकिस्तान से मदद मिल रही है। तालिबान का पाकिस्तान के क्वेटा, पेशावर में नेतृत्व परिषद है। तालिबान के परिवार और निवेश पाकिस्तान में है। तालिबान को पाकिस्तान की मदद नहीं मिलती तो अफ़ग़ानिस्तान में हालात ख़राब नहीं होते। इनसे दोस्ती अच्छी नहीं है। आज इन बुरे हालातों से हमारा सामना हो रहा है कल शायद पाकिस्तान की भी नौबत आ जाए। हमारी पाकिस्तान से निवेदन है कि तालिबान से दोस्ती ना करे।आतंकवाद से दोस्ती कभी रंग नहीं लाती है।
वहीं सरकारी अधिकारियों का कहना है कि तालिबान के साथ संघर्ष जारी है। अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सभी अफगान सुरक्षा बल इलाके में मौजूद हैं। तालिबान के कब्जे से इलाकों को छुड़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इससे पहले बाइडेन ने कहा कि अमेरिकी सेना का मिशन 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगा। दो दशकों के बाद अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी हो रही है। इस बीच तालिबान ने देश में हिंसा का तांडव बढ़ा दिया है।