जम्मू-कश्‍मीर में सेना को बड़ा झटका, हट सकता है AFSPA कानून

श्रीनगर। जम्मू-कश्‍मीर सरकार अफस्पा कानून को हटाने की तैयारी में है। खुद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इसकी तरफ इशारा किया है। बता दें कि अफस्पा कानून की मदद से घाटी में सेना को विरोधी तत्वों से लड़ने में मदद मिलती है। दो कश्‍मीर दौरे पर पहुंचे गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद सीएम महबूबा मुफ्ती ने इस बारे में मीडिया से भी बात की। उन्होंने कहा, ‘अफस्पा कानून को धीरे-धीरे खत्म करने की जरूरत है। प्रयोग के तौर पर कुछ इलाकों में इस कानून को हटा देना चाहिए।’


अफस्पा कानून पर एक नजर

सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) 1958 में संसद ने पारित किया था। तब से यह कानून के रूप में काम कर रही है। अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा में भी यह कानून लागू किया गया था। लेकिन मणिपुर सरकार ने साल 2004 में राज्‍य के कई हिस्‍सों से इस कानून को हटा दिया।

जम्‍मू-कश्‍मीर में अफस्पा कानून साल 1990 में लागू किया गया था। राज्‍य में बढ़ रही आतंकी घटनाओं के बाद इस कानून को यहां लागू किया था। तब से आज तक जम्‍मू-कश्‍मीर में यह कानून सेना को प्राप्‍त हैं। इसके बाद भी राज्‍य के लेह-लद्दाख इलाके इस कानून के अंतर्गत नहीं आते हैं। इस कानून के तहत जम्‍मू-कश्‍मीर की सेना को किसी भी व्‍यक्ति को बिना वारंट या तलाशी के गिरफ्तार करने का विशेषाधिकार है। यदि वह व्‍यक्ति गिरफ्तारी का विरोध करता है तो उसे जबरन गिरफ्तार करने का पूरा अधिकार सेना के जवानों के पास होता है।

अफस्पा कानून के तहत सेना के जवानों को किसी भी व्‍यक्ति की तलाशी केवल संदेह के आधार पर लेने का पूरा अधिकार प्राप्‍त है। गिरफ्तारी के दौरान सेना के जवान जबरन उस व्‍यक्ति के घर में घुस कर संदेश के आधार पर तलाशी ले सकते हैं। सेना के जवानों को कानून तोड़ने वाले व्‍यक्ति पर फायरिंग का भी पूरा अधिकार प्राप्‍त है। अगर इस दौरान उस व्‍यक्ति की मौत भी हो जाती है तो उसकी जवाबदेही फायरिंग करने या आदेश देने वाले अधिकारी पर नहीं होगी।


इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत सरकार जम्मू एवं कश्मीर के साथ मजबूरी का कोई रिश्ता नहीं बनाना चाहती, बल्कि ऐसा रिश्ता चाहती है जो भावनाओं पर आधारित हो। राजनाथ ने अशांत कश्मीर घाटी के दो दिवसीय दौरे के समापन पर यहां संवाददाताओं से कहा, “हम कश्मीर के साथ कोई मजबूरी का रिश्ता नहीं बनाना चाहते, बल्कि भावनात्मक रिश्ता विकसित करना चाहते हैं।”

राजनाथ ने घाटी का दौरा ऐसे समय में किया है, जब आठ जुलाई को एक मुठभेड़ में हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद सड़कों पर भड़के विरोध प्रदर्शनों में अबतक 45 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, और हजारों की संख्या में घायल हो चुके हैं। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि घाटी में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सरकार किसी भी व्यक्ति से बात कर सकती है। इसके साथ ही उन्होंने राज्य में अशांति पैदा करने के लिए पाकिस्तान को लताड़ भी लगाई। राजनाथ ने अशांत कश्मीर के अपने दो दिवसीय दौरे के समापन पर मीडिया से कहा, “मैं लोगों से अपील करता हूं कि कश्मीर घाटी में शांति और सामान्य स्थिति बहाल होने दें।”

उन्होंने कहा कि नई दिल्ली एक रचनात्मक संवाद के लिए तैयार है, जिससे घाटी में सामान्य स्थिति बहाल हो सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घाटी के हालात से बहुत चिंतित हैं, जहां आठ जुलाई को आतंकवादी कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद सड़कों पर भड़के विरोध प्रदर्शनों में अबतक 45 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं।

राजनाथ ने कहा, “मैं जम्मू एवं कश्मीर के लोगों से अपील करता हूं कि शांति एवं सामान्य स्थिति की बहाली में रचनात्मक सुझावों के जरिए वे सरकार की मदद करें।” उन्होंने कहा कि यदि वैचारिक मतभेद हैं, तो उन्हें संवाद के जरिए सुलझाया जा सकता है। राजनाथ ने कहा, “सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए और शांति बहाली के लिए हम किसी से भी बातचीत कर सकते हैं।”

उन्होंने कहा, “हम मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को राय में लेकर राज्य में शांति व सामान्य स्थिति बहाली में इच्छुक किसी भी व्यक्ति से बात करेंगे।” गृहमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार आतंकवाद को कभी बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस्लामाबाद की लाल मस्जिद में आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चलाता है, दूसरी ओर कश्मीर में युवाओं को हथियार उठाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

उन्होंने कहा, “इसे रोका जाना चाहिए। पाकिस्तान की भूमिका ठीक नहीं है। उन्हें जम्मू एवं कश्मीर के बारे में अपनी आदत और सोच बदलनी चाहिए।” गृहमंत्री ने यह भी कहा कि जम्मू एवं कश्मीर में किसी तीसरी ताकत को शामिल करने की कोई आवश्यकता नहीं है। राजनाथ ने अशांति के दौरान मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति शोक संवेदनना भी व्यक्त की।

उन्होंने कश्मीरी युवकों से आग्रह किया कि सुरक्षा बलों पर पथराव न करें और साथ ही सुरक्षा बलों से भी आग्रह किया कि उन्हें प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी से बचना चाहिए। उन्होंने संसद में किए अपने वादे को दोहराया कि केंद्र सरकार भीड़ को नियंत्रित करने के लिए गैर घातक हथियारों के इस्तेमाल के तरीके खोजने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करेगी। यह समिति दो महीने में अपनी रपट सौंपेगी।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री से कहा है कि जरूरत पड़ने पर घायल कश्मीरियों को इलाज के लिए दिल्ली भेजा जा सकता है। उन्होंने कहा, “सरकार एम्स में उनका इलाज कराएगी।”

LIVE TV