अफगानिस्तान में मौजूद है महाभारत का सबसे बड़ा सबूत, आतंकी भी नहीं मिटा पाए…
जयपुर। ये बात बहुत कम ही लोगों को मालूम होगी कि अफगानिस्तान कभी भारत का एक अभिन्न हिस्सा हुआ करता था। एक समय था जब भारत की सीमाएं अफगानिस्तान के पार ईरान को छूती थी।
अफगानिस्तान कई समय तक भारत का हिस्सा था भारत की सीमाएं अफगानिस्तान से पार जाती थी।
तक्षशिला को विश्व का प्रथम विश्वविद्यालय माना जाता है। यहां पर आचार्य चाणक्य और पाणिनी ने शिक्षा प्राप्त की थी। तक्षशिला शहर प्राचीन भारत में गांधार जनपद की राजधानी और एशिया में शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। माना जाता है कि इसकी स्थापना 6ठी से 7वीं सदी ईसा पूर्व के मध्य हुई थी।
अफगानिस्तान का नाम अहमदशाह दुर्रानी के शासन काल में पडा। अफगानिस्तान का संबंध महाभारत के समय से भी है। वर्तमान का अफगानिस्तान उस समय गांधार के नाम से जाना जाता था, कौरवों की मां गांधारी गांधार की राजकुमारी थी। दुर्योधन के मामा शकुनी गांधार नरेश थे।
अफगानिस्तान के बामियान शहर में भगवान गौतम बुद्ध की दो विशाल प्रतिमा हुआ करती थी। जिसमें से एक तो पूरे विश्व में भगवान बुद्ध की सबसे ऊंची प्रतिमा थी लेकिन मार्च 2001 में इस ऐतिहासिक धरोहर को नष्ट कर दिया गया।
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अफगानिस्तान के म्यूजियम में रखी गई बौद्ध और हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां को वहां के कट्टरपंथियों ने नष्ट करने की कोशिश की इसमें से लोग काफी हद तक सफल भी रहे, लेकिन अफगानिस्तान के म्यूजियम में आज भी बौद्ध और हिंदू इतिहास से संबंधित कई वस्तु आज भी संभाल कर रखी गई है।