अगर ब्लॉक हो जाए आपका ई-वे बिल, तो अनब्लॉक करने का ये है तरीका

जीएसटी संग्रह में कमी के चलते सरकार कर चोरी रोकने के लिए ई-वे बिल योजना को शुरू किया है. इस प्रक्रिया में अब GST रिटर्न दाखिल करने में अब ई-वे बिल का भी मिलान किया जायेगा. ई वे बिल  प्रणाली  के rules के मुताबिक 50000 से ज्यादा के माल पर ई-वे बिल  बनवाना जरूरी है। इसके अलावा भी कई और नियम हैं। जिन्हे जानना जरूरी है।

E-Way Bill System

क्यों ब्लॉक किया जाता है ई-वे बिल-

GSTN ने ने ब्लॉक हो चुके ई-वे बिल को अन-ब्लॉक करने का रास्ता खोल दिया है. फिलहाल जिन करदाताओं ने 2 दिसंबर 2019 से लागू इस सुविधा के कारण दो महीनों से लगातार अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया है. उनके ई-वे बिल जेनरेशन की सुविधा ब्लॉक हो जाती है.

ई-वे बिल ब्लॉक होने से किस पर पड़ता है प्रभाव-

एक बार ब्लॉक हो जाने के बाद, ऐसे जीएसटी धारकों के लिए ई-वे बिल न तो आपूर्तिकर्ता, प्राप्तकर्ता या ई-वे बिलपोर्टल पर ट्रांसपोर्टर को भी जारी नहीं किया जाएगा।

ई-वे बिल को अनब्लॉक कैसे करें-

GSTR-3B दाखिल करने के नॉन-कंपलाइन्स के लिए ई-वे बिल को ब्लॉक करने के फैसले को कई महीने पहले ही जीएसटी परिषद द्वारा अधिसूचित किया गया था। इसके बाद ई-वे बिल पोर्टल पर ई-वे बिल जनरेट करने वाले करदाताओं को यह सूचित किया गया था कि यदि लगातार दो GSTR-3B दाखिल नहीं किए गए तो सुविधा वापस ले ली जाएगी।

जीएसटी के आँकड़ों के अनुसार, लगभग 20.75 लाख जीएसटी धारकों ने सितंबर और अक्टूबर माह में GSTR-3B दाखिल नहीं किया है। यही कारण है कि ई-वे बिल जनरेट करने की उनकी सुविधा ब्लॉक कर दी गई। इन 20.75 लाख जीएसटी धारकों में से, 3.47 लाख जीएसटी धारकों (16.7%) का लेन-देन सितंबर और अक्टूबर 2019के लिए ईवे बिल प्रणाली में था। इस प्रकार, इन जीएसटी धारकों पर तुरंत प्रभाव पड़ रहा है।

ई-वे बिल ब्लॉकिंग से बचने के तरीके:-

  1. नए बदलाव का प्रभाव केवल उन करदाताओं पर पड़ेगा जो जीएसटी के तहत पंजीकृत हैं और जीएसटीआर पोर्टल परGSTR-3B रिटर्न दाखिल नहीं किया है।
  2. यह तभी लागू होगा जब करदाता ने लगातार दो महीनों तक GSTR-3B दाखिल नहीं किया हो। उदाहरण के लिए जिन्होंने सितंबर और अक्टूबर 2019 का GSTR-3B दाखिल नहीं किया है उनका ई-वे बिल ब्लॉक कर दिया जाएगा।
  3. जीएसटी धारकों का जो माल रास्ते मेंहै उस पर जीएसटीआईएन ब्लॉक हो जाने का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यानी पहले से ही जारी ई-वे बिल पर ब्लॉकिंग का कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है। इस तरह 2दिसंबर 2019 से पहले जारी ई-वे बिल मान्य है और ब्लॉक किए गएजीएसटी धारकों के लिए माल को गंतव्य तक ले जाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
  4. जो ट्रांसपोर्टर केवल ई-वे बिल पोर्टल पर पंजीकृत हैं और जीएसटी पोर्टल पर पंजीयन नहीं करवाया है,वे इससे प्रभावित नहीं होंगे और अपना व्यवसाय जारी रख पाएंगे।

 

हालांकि, ई-वे बिल सुविधा को ब्लॉक करना अस्थायी है। करदाता इसे आसानी से अनब्लॉक कर सकते हैं।

1: जब करदाता जीएसटीआर-3 बी रिटर्न फाइल करेगा तब ई-वे बिल पोर्टल पर ई-वे बिल जनरेशन सुविधा को अनब्लॉक कर दिया जाएगा।

2: यदि यह ई-वे बिल पोर्टल पर अपडेट नहीं होता है, तो ई-वे बिल पोर्टल पर यह सुविधा प्रदान की गई है कि करदाता डिफ़ॉल्ट अवधि के लिए GSTR-3Bदाखिल करने के बाद ई-वे बिल पोर्टल पर ‘सर्च>अपडेट ब्लॉक स्टेटस’ का चयन कर सकते हैं। जिसके बाद जीएसटी कॉमन पोर्टल से अपने नवीनतम GSTR-3Bरिटर्न फाइलिंग स्टेटस को अपडेट कर सकते हैं। यह सुविधा ई-वे बिल सिस्टम और जीएसटी सिस्टम के बीच स्वचालित आदान-प्रदान के ओवरराइड के रूप में प्रदान की गई है।

3: यदि करदाता किसी भी बाध्यकारी कारणों के चलते GSTR-3Bदाखिल करने में सक्षम नहीं है, तो वे ई-वे बिल जनरेशन सुविधा को अनब्लॉक और पुनर्स्थापित करने के लिए संबन्धित कर अधिकारी को आवेदन दे सकते हैं। करदाता को उपयुक्त कारणों और आवश्यक दस्तावेज़ के साथ कर अधिकारी के पास ई-वे बिल जनरेशन सुविधा को अनब्लॉक करने के लिए ऑफ़लाइन / हस्तलिखित अनुरोध करना होगा। यदि अधिकारी अनुरोध स्वीकार करता हैतो सुविधा को ऑनलाइन अनब्लॉक किया जा सकता है।

4: यदि करदाता द्वारा किए गए अनब्लॉकिंग अनुरोध को स्वीकार किया जाता हैतो इसकी सूचना करदाता को उनके पंजीकृत ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर पर दी जाएगी। इसे करदाता जीएसटी पोर्टल पर लॉग-इन करने के बाद देख सकते हैं।

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5: इसके बावजूद भी अगर समस्या हल नहीं होता है तो करदाता जीएसटी हेल्पडेस्क से संपर्क कर सकते हैं और 0120-4888999 पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

GSTN के बारे में: गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क (GSTN) सेक्शन 8 (नई कंपनियों के अधिनियम के तहतइस सेक्शन के अंतर्गत नॉट फॉर प्रॉफ़िट कंपनी आते हैं) के तहत एक गैर-सरकारी,प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है।

मार्च 2013 में स्थापित इस कंपनी को मुख्य रूप से केंद्र और राज्य सरकारों तथा करदाताओं और अन्य हितधारकों को माल और सेवा कर (जीएसटी) के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक आईटी अवसंरचना और सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है।

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