अगर नहीं होतीं ये 5 महिलाएं तो अभी नहीं होता राम-रावण का युद्ध…नाम जानकर उड़ जायेंगे आपके होश…

अयोध्या में राम जन्मभूमि के भूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अयोध्या राम की है इस बात पर फिलहाल बहस जारी है, लेकिन कभी आपके मन में यह सवाल उठा कि आखिर वह कौन था जिसने रामायण Ramayana की रचना की नींव डाली।

रामायण में महिलाओं के पात्र की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका थी। रामायण में नारी को महान बताया गया है। रामायण काल में यह महिलाएं न होती तो न भगवान राम होते न रावण।

अजब गजब

प्रमुख महिला पात्र सीता, कैकेयी, कौशल्या, सुमित्रा, अहिल्या, उर्मिला, अनसूइया, शबरी, मंदोदरी, त्रिजटा,शूर्पणखा, लंकिनी और मंथरा हैं।

इन सभी महिलाओं का रामायण में अपना-अपना महत्त्व है, लेकिन मुख्य पात्र सीता, कैकेयी, मंथरा, शूर्पणखा और मंदोदरी न होतीं तो रामायण का स्वरूप अलग होता।

तुलसी रामायण और वाल्मीकि रामायण में इस पांच महिलाओं की भूमिका को बहुत महत्वपूर्ण बताया गया है। तुलसी रामायण और वाल्मीकि रामायण में इन महिलाओं के पात्र न होते तो हिंदू धर्म के इस ग्रंथ से आज हम वंचित रह जाते।

सीता: सहनशील, ज्ञानी, पतिव्रता जैसी महानता वाली माता सीता भगवान राम के हर सुख-दुख में भागीदार बनीं और विषम परिस्थितियों में भी अपने पतिव्रत धर्म का उल्लंघन नहीं किया। सीता न होतीं तो रावण का अंत करने का कोई मकसद नहीं होता।

कैकेयी: राजा दशरथ की तीन रानियों में से एक कैकेयी के कारण भगवान राम को 14 वर्ष के वनवास के लिए जाना पड़ा और इसीलिए कैकेयी की छवि भले ही एक नकारात्मक पात्र के रूप में सामने आई लेकिन,बिना इस किरदार के रामायण का स्वरूप यह नहीं होता।

मंथरा: राजा दशरथ की सबसे प्रिय रानी कैकेयी की दासी मंथरा ने अगर कैकेयी के कान न भरे होते तो शायद राम को 14 वर्षों का वनवास न हुआ होता। मंथरा ने ऐसा सिर्फ इसलिए किया क्योंकि वह कैकेयी को अपनी पुत्री की तरह मानती थी।

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शूर्पणखा: जैसा कि आप जानते हैं रावण एक ऐसा पात्र है जिसके बिना रामायण नहीं लिखी जा सकती थी। शूर्पणखा ने अगर अपने भाई के अंदर प्रतिशोध ज्वाला न जलाई होती तो आज रामायण प्रभावशाली नहीं होती। शूर्पणखा के पात्र से हमें यह भी सीख मिलती है कि परपुरुष के संबंध में किसी भी प्रकार के गलत विचार को मन में नहीं लाना चाहिए।

मंदोदरी: अपने पति को सही सलाह देने वाली मंदोदरी को पता था कि रावण ने सीता हरण कर एक अधार्मिक कार्य किया था। मंदोदरी बार-बार रावण को याद दिलाती रहती थी कि उसका अंत निकट है।

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