अगर केंद्र सरकार दे दे राहत तो देशभर में खत्म हो जाएगा रेमडेसिविर इंजेक्शन का संकट

कोरोना काल के दौरान रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत से पूरा देश इस समय परेशान है। इस संकट का हल पेटेंट लॉ में बदलाव कर निकाला जा सकता है। आपको बता दें कि इस इंजेक्शन को बनाने का पेटेंट अमेरिकी कंपनी के पास ही है। इसी के साथ देश की छह कंपनियां इस कानून के तहत मूल कंपनी के साथ अनुबंधित हैं। हालांकि यह कंपनियां इस दौरान इंजेक्शन का उत्पादन कर देश को उपलब्ध करवाने में असमर्थ हैं। यदि पेटेंट संबंधी कानून में भारत सरकार आपात स्थितियों को देखते हुए एक माह के लिए विशेष प्रावधानों के तहत संसोधन कर दे तो इस इंजेक्शन का संकट समाप्त हो जाएगा।

ज्ञात हो कि रेमडेसिविर का मूल पेटेंट अमेरिका की जिलियाई लाइफ साइंस कंपनी के पास मौजूद है। इसी के साथ भारत में महज छह कंपनियों को ही यह इंजेक्शन बेचने की अनुमति मिली हुई है। पेटेंट लॉ के तहत यह छह कंपनियां अन्य देशों में इंजेक्शन निर्यात तो कर सकती हैं लेकिन देश में बेंच नहीं सकती। इन कंपनियों के पास कच्चा माल समेत इंजेक्शन बनाने की सभी आवश्यक चीजें उपलब्ध है। यदि सरकार छूट दे तो प्रत्येक कंपनी एक से सवा लाख वायल(इंजेक्शन) का निर्माण प्रतिदिन कर सकती है।

यह है छह कंपनियां
क्‍वालिटी फार्मा (अमृतसर)
भारत पेरेंटल (बड़ौदा)
सीच फार्मा (अहमदाबाद)
ब्रुक फार्मा (दमन)
गुफ‍िक बायो साइंस (गुजरात)
हेल्‍थ बायोटेक (हिमाचल)

LIVE TV