अगर आप भी जा रहें है कुंभ के लिए, तो जरूर जान लें ये बातें…

प्रयागराज में कुंभ 2019 की शुरुआत में अब कुछ ही दिन बचे हैं। विश्व का यह सबसे बड़ा धार्मिक सम्मेलन 15 जनवरी से शुरू होगा और 3 मार्च तक चलेगा।

भारत के कोने-कोने से श्रद्धालु इस पवित्र सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहुंच रहे हैं।

 कुंभ 2019

गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के पावन तट पर लगने वाले कुंभ मेले में श्रद्धालु इस मान्यता के साथ आते हैं कि वो एक बार पवित्र जल में स्नान कर लें तो उनके समस्त पाप दूर हो जाएंगे और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी।

लेकिन, इस बार मोक्ष की प्राप्ति के साथ ही श्रद्धालुओं के मन में यह सवाल भी उठ रहा है कि वो कुंभ में जा रहे हैं या अर्धकुंभ में…

भारत में तीन तरह के कुंभ लगते हैं।
कुंभ हिंदू धर्म का सबसे पुराना और पवित्र धार्मिक मेला है। भारत में तीन तरह के कुंभ लगते हैं। ये कुंभ, महाकुंभ और अर्धकुंभ के नाम से जाने जाते हैं।
वैसे तो इस बार प्रयागराज में लगने वाला धार्मिक मेला अर्धकुंभ है लेकिन यूपी सरकार ने अर्धकुंभ का नाम बदलकर कुंभ रखा दिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में ही कुंभ का लोगो जारी करते हुए अर्धकुंभ का नाम कुंभ रखा था।
इससे पहले तक हर छह साल में लगने वाला धार्मिक मेला अर्धकुंभ कहलाता था।
12 दिसंबर 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुंभ का लोगो जारी किया और अर्धकुंभ का नाम कुंभ करने की घोषणा की।
22 दिसंबर को यूपी सरकार विधानसभा में ‘प्रयागराज मेला अथॉरिटी बिल’ पेश किया।
अर्धकुंभ को कुंभ करने पर योगी सरकार को विपक्ष की आलोचना भी झेलनी पड़ी।
सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने यहां तक कहां की सरकार को अर्धकुंभ पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। यह इतिहास और परंपरा का मामला है।

विधानसभा में विपक्ष के नेता गोविंद चौधरी ने तो इसे वेद और अन्य पवित्र शास्त्रों का उल्लंघन बताया था।

इस पर सूबे की बीजेपी सरकार का कहना था कि कुंभ आस्था और परंपरा का मामला है और किसी भी पार्टी और सरकार से इसका कोई नाता नहीं है।
भारत के कोने-कोने से और विदेशों से ज्यादा से ज्यादा लोग इस धार्मिक मेल में आ सकें इसके लिए अर्धकुंभ का नाम कुंभ किया गया है।
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