इस्लामाबाद : पाकिस्तान अब तक का सबसे बड़ा हथियार आयात करने जा रहा है। पाक किसी और देश से नहीं बल्कि चीन से आठ हमलावर पनडुब्बी खरीदेगा। करीब पांच अरब डॉलर का यह समझौता दोनों देशों के बीच हो गया है।
पाकिस्तान कर्ज पर चीन से यह हथियार देगा। यह करार तब सामने आया है जब भारत-अमेरिका के बीच सैन्य समझौता हुआ है जिसके तहत दोनों देश एक दूसरे के सैन्य अड्डों का इस्तेमाल कर सकेंगे।
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चीन से 2028 तक पाकिस्तान लगभग पांच अरब डॉलर के आठ संशोधित डीजल-इलेक्ट्रिक हमलावर पनडुब्बी खरीदेगा। इसे चीन के लिए सबसे बड़ी डिफेंस डील बताया जा रहा।
हमलावर पनडुब्बी के लिए 33500 करोड़ में करार
रेडियो पाकिस्तान की खबर के मुताबिक रक्षा मामलों पर नेशनल एसेंबली की स्थायी समिति को वरिष्ठ नौसेना अधिकारियों ने 26 अगस्त को इस सौदे की जानकारी दी जो लगभग चार से पांच अरब डॉलर का होगा।
अप्रैल में पाकिस्तान नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने घोषणा की कि कराची शिपयार्ड व इंजीनियरिंग वर्क्स (केएसईडब्लू) ने आठ पनडुब्बियों में चार खरीदने के लिए एक अनुबंध सुनिश्चित किया है जिन्हें एअर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन प्रणालियों के साथ जोड़ा जाएगा।
पाकिस्तान मीडिया की खबर के मुताबिक हमलावर पनडुब्बी के लिए पाक को चीन की ओर से कम ब्याज पर एक दीर्घकालीन कर्ज दिए जाने की संभावना है। आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है कि चाइना शिप किस तरह की पनडुब्बियां पाकिस्तान नौसेना को चाइना शिपबिल्डिंग ट्रेडिंग कंपनी (सीएसटीसी) आपूर्ति करेगी।
इससे पहले बीते सोमवार को वॉशिंगटन में भारत के डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर और अमेरिकी समकक्ष एश्टन कार्टन ने लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) पर हस्ताक्षर किए थे।
भारत-अमेरिका के बीच हुई इस डील का मकसद चीन की ताकत को खासकर समंदर में बढ़ने से रोकना माना जा रहा है। अब दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के इक्विपमेंट्स और सैन्य अड्डों का इस्तेमाल कर सकेंगी। दोनों देशों को फाइटर प्लेन और वॉरशिप के लिए फ्यूल भी आसानी से मिल सकेगा।