स्मार्टफोन से जुड़ी ये बातें नहीं हैं सच
स्मार्टफोन से जुड़े कई मिथ ऐसे हैं जिन्हें हम सच मानते हैं। बैटरी, कैमरा, प्रोसेसर और एप्स को लेकर कई बातें ऐसी हैं जो असल में हैं तो झूठी लेकिन ज्यादातर यूजर्स उसे सच मान लेते हैं। आइए जानते हैं भ्रांतियां ।
स्मार्टफोन से जुड़े मिथ और फैक्ट
मिथ : प्रोसेसर डबल करने से फोन परफार्मेंस डबल होती है
फैक्ट : आपको बता दें कि प्रोसेसर की चिप सिंगल कोर से बदलकर डबल या क्वॉड कोर हो जाए। लेकिन फोन के अन्य रिसोर्सेज तो वही रहते हैं। प्रोसेसर बदलने के बावजूद फोन की बैटरी और मेमोरी तो लिमिटेड रहती है। ऐसे में फोन परफॉर्मेंस डबल होने का कोई मतलब नहीं बनता।
मिथ : ज्यादा मेगापिक्सल से बेहतर फोटोग्राफी
फैक्ट : आमतौर पर यूजर्स सोचते हैं कि ज्यादा मेगापिक्सल होने से इमेज क्वालिटी बेहतर होगी लेकिन यह गलत है। ज्यादा मेगापिक्सल किसी इमेज को बड़ी शीट पर प्रिंट करने के लिए यूजफुल होता है। फोटो की इमेज क्वालिटी कैमरे की शटर स्पीड और अपर्चर पर निर्भर करती है, न कि मेगापिक्सल पर।
मिथ : डिस्प्ले बचाने के लिए स्क्रीन गॉर्ड जरूरी
फैक्ट : स्क्रीन को स्क्रैच से बचाने के लिए यूजर्स फोन में स्क्रीन गार्ड लगाते हैं। लेकिन अब लगभग सभी स्मार्टफोन कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास और स्क्रीन प्रोटेक्शन टेक्नोलॉजी के साथ आते हैं जो कि स्क्रीन को प्रोटेक्ट करने में केपेबल हैं। यानी स्क्रीन प्रोटेक्टर लगाना जरूरी नहीं है।
मिथ : स्मार्टफोन में वायरस और मालवेयर
फैक्ट : अगर आप थर्ड पार्टी या अनऑथराइज्ड सोर्स से एप डाउनलोड करते हैं, तब ही आपके फोन में मालवेयर्स आएगें। एंड्रायड डिवाइसेस की बात की जाए तो अगर आप Google प्ले स्टोर से एप्स डाउनलोड करते हैं तो आपके फोन में मालवेयर्स नहीं आ सकते।
मिथ : एप बंद करने से फोन परफॉर्मेंस बढ़ेगी
फैक्ट : यह बिल्कुल झूठ है। यूजर्स को मालूम होना चाहिए कि रिसेंटली यूज्ड एप्स बैकग्राउंड में नहीं, बल्कि वो रैम में स्टोर होते हैं ताकि आप फिर से उनका इस्तेमाल कर सकें। इसलिए रिसेंटली यूज्ड एप्स को बंद करने की जरूरत नहीं है क्योंकि वे आपके फोन की परफॉर्मेंस पर कोई नेगेटिव असर नहीं डालते।
मिथ : लोकल चार्जर के इस्तेमाल से बैटरी फट जाती है
फैक्ट : स्मार्टफोन बैटरी में ब्लास्ट होने के कई कारण हो सकते हैं। लोकल चार्जर वाली बात बिल्कुल झूठ है। जब तक चार्जर ठीक से काम कर रहा है, बैटरी को कोई नुकसान नहीं होगा, फिर चाहे चार्जर किसी भी कंपनी का हो। ऑरिजनल चार्जर भी अगर खराब हों तो स्मार्टफोन बैटरी खराब हो सकती है।
मिथ : थर्ड पार्टी एप बैटरी लाइफ बढ़ा देते हैं
फैक्ट : यह सबसे बड़ा मिथ है कि बैटरी ऑप्टिमाइजिंग एप्स फोन की बैटरी लाइफ बढ़ाने में मदद करेंगे। हकीकत में ऐसा कुछ नहीं होता। कई बैटरी एप्स तो बैटरी बैकअप के मामले में कोई भी मदद नहीं करते। कुछ एक जो मदद करते हैं, वो भी सिर्फ बैटरी मैनेजमेंट में हेल्प करते हैं। इनका काम बाकी एप्स का ध्यान रखना होता है, बैटरी बैकअप बढ़ाना नहीं।
मिथ : ब्लूटूथ या वाई-फाई ऑन होने से बैटरी खर्च होती है
फैक्ट : बैटरी तभी खर्च होती है, जब ब्लूटूथ या वाई-फाई इस्तेमाल में आ रहे हों। सिर्फ ऑन रहने से बैटरी खर्च नहीं होती। यह भी एक मिथ ही है।
मिथ : मैग्नेट के पास फोन रखने से डाटा रिमूव हो जाएगा
फैक्ट : स्मार्टफोन का डाटा SD कार्ड में स्टोर होता है। अगर आपको लगता है कि मैगनेट के पास रखने से डाटा रिमूव हो जाएगा तो ये सच नहीं है। मैगनेट आस-पास होने से स्मार्टफोन की स्टोरेज पर कोई असर नहीं पड़ता।
मिथ : चार्जिंग के दौरान स्मार्टफोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
फैक्ट : स्मार्टफोन अगर जरूरत से ज्यादा हीट हो रहा है तो इसमें फोन के हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर की प्रॉब्लम हो सकती है। चार्जिंग के दौरान फोन का इस्तेमाल करने से इतनी ज्यादा परेशानी नहीं होती है।