स्वामी प्रसाद ने फिर चौंकाया, कांग्रेस नेता के साथ लौटे लखनऊ


स्वामी प्रसाद मौर्यलखनऊ।
बसपा छोड़ने वाली स्वामी प्रसाद मौर्या ने चौंका दिया है। सपा और भाजपा का दामन थामने के कयासों के बीच स्वामी अब कांग्रेस से करीबी दिखाते मिले हैं। दिल्ली में बीजेपी के नेताओं के साथ बैठक करके स्वामी कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के साथ लखनऊ लौटे हैं|

खबर यह भी है कि स्वामी प्रसाद मौर्या, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के साथ आज लखनऊ के होटल ताज में एक कार्यक़म में शिरकत करेंगे|

स्वामी प्रसाद मौर्य का नया पैंतरा

इससे पहले स्वामी ने भाजपा के नेता ओम माथुर से मुलाकात कर सूबे की राजनीति में नए सियासी समीकरण बनने के संकेत दिए थे|

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इस बैठक में दोनों नेताओं के बीच, स्वामी की भाजपा में इंट्री, नई पार्टी बना कर भाजपा से गठबंधन सहित कई विकल्पों पर विस्तृत बातचीत हुई। इस बाबत स्वामी की भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से भी मिलने की चर्चा है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई।

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सूत्रों का कहना है कि बातचीत के नतीजे का पता एक जुलाई को चलेगा। स्वामी इसी दिन लखनऊ में रैली के सहारे शक्ति प्रदर्शन करने वाले हैं। बीजेपी नेताओं का मानना है कि स्वामी प्रसाद मौर्य अगर पार्टी में शामिल होते हैं तो इससे अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उसकी ताकत बढ़ेगी|

स्वामी प्रसाद मौर्य मझधार में 

चर्चा थी कि मौर्य न सिर्फ समाजवादी पार्टी का दामन थामेंगे, बल्कि 27 जून को होने वाले अखिलेश यादव के मंत्रिमंडल फेरबदल में मंत्री पद भी हासिल कर लेंगे। स्वामी प्रसाद मौर्य के बहुजन समाज पार्टी छोड़ने के बाद जिस तरह अखिलेश यादव से लेकर आजम खान ने उनकी तारीफ की, उससे इन अटकलों को और भी दम मिला। अखिलेश ने तो मौर्य के लिए यहां तक कहा कि वह अच्छे व्यक्ति हैं, लेकिन गलत पार्टी में हैं। दूसरी ओर, बीएसपी के प्रमुख ओबीसी चेहरे के बाहर होने के बाद मायावती की पूरी कोशि‍श पार्टी के वोट को छिटकने से रोकना है। माया ने इस बाबत पार्टी विधायकों की बैठक भी बुलाई है।

सपा पर साधा निशाना

इस बीच स्वामी प्रसाद ने गुरुवार को जिस तरह से समाजवादी पार्टी के खिलाफ बयानबाजी की, उससे यह तय हो गया कि वह अब साइकिल की सवारी करने से पहले हर विकल्प को टटोलना चाहते हैं। समाजवादी पार्टी पर सीधा हमला बोलते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि पिछले चार वर्षों से उत्तर प्रदेश में जिस तरह अराजकता और गुंडाराज चल रहा है, उसे रोकने की जिम्मेदारी समाजवादी पार्टी के नेताओं की है।

मौर्या ने यहां तक कहा कि चाहे समाजवादी पार्टी हो या भारतीय जनता पार्टी अपने लोगों पर लगाम लगाना और पार्टी में क्या चल रहा है, इसे देखना नेताओं की जिम्मेदारी है। मौर्य के इस बयान से सपा के नेता हक्के-बक्के रह गए। सपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ऐसी बयानबाजी करके मौर्य अपने लिए सपा में आने के रास्ते बंद कर रहे हैं। अब इस बात की कोई संभावना नहीं है की 27 तारीख को होने वाले मंत्रिमंडल के फेरबदल में स्वामी प्रसाद मौर्य पार्टी में शामिल होकर मंत्री बनेंगे।

सपा के लिए फायदे का सौदा

हालांकि, समाजवादी पार्टी के नेता यह मानते हैं की मौर्य अगर उनकी पार्टी से आकर जुड़ते तो वोटों के गणित के हिसाब से यह अच्छा सौदा होता। चुनाव के पहले सपा इस कोशिश में जुटी हुई है कि ज्यादा से ज्यादा पिछड़ी जातियों को पार्टी के साथ जोड़ा जाए। इसे सपा के खिलाफ लगने वाले इस आरोप की धार कम होगी कि वह सिर्फ यादवों की पार्टी है।

बताया जाता है कि इसी कोशिश के तहत बेनी प्रसाद वर्मा से लेकर अजीत सिंह तक से पुरानी दुश्मनी भूलकर दोस्ती का हाथ बढ़ाया गया। समाजवादी पार्टी के नेताओं को उम्मीद है कि बेनी प्रसाद वर्मा अपने साथ कुरमी वोट और अजीत सिंह अपने साथ जाट वोट की सौगात लाएंगे। स्वामी प्रसाद मौर्य सपा के लिए काम के नेता हो सकते हैं, क्योंकि जिस कुशवाहा बिरादरी से मौर्य आते हैं उसका कोई बड़ा चेहरा समाजवादी पार्टी के पास नहीं है।

सपा के नेता यह भी देख रहे हैं कि पिछड़ी जातियों को जोड़ने के लिए किस तरह से बीजेपी अपनी रणनीति तैयार कर रही है। केशव प्रसाद मौर्य को उत्तर प्रदेश में बीजेपी की बागडोर देकर उसने अपनी अपनी मंशा साफ कर दी है। वहीं शिवपाल सिंह का कहना है कि मौर्य का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है, क्योंकि उन्हें बसपा में जरूरत से ज्यादा महत्व मिल गया था। शिवपाल ने कहा कि मौर्य को मानसिक चिकित्सा की जरूरत है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मौर्य इतने भी बड़े नेता नहीं है कि उन्हें पार्टी में लाने के लिए मिन्नत की जाए। सभी इस बात को जानते हैं कि वह अपने विधानसभा चुनाव हार गए थे और बाद में उपचुनाव में ही जीत पाए।

शक्ति‍ प्रदर्शन के बाद बीजेपी लेगी फैसला 

दूसरी ओर स्वामी प्रसाद मौर्य बीजेपी नेताओं के भी संपर्क में हैं। एक जुलाई को मौर्य ने लखनऊ में अपने समर्थकों की बैठक बुलाई है। इसे उनका शक्ति प्रदर्शन भी माना जा रहा है। अगर समर्थन अच्छा मिला तो स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी पार्टी भी बना सकते हैं ताकि उनकी स्थिति मजबूत हो और मोलतोल करके वह बाद में बीजेपी या सपा से जा मिलें।

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