स्वच्छ भारत मिशन : अखिलेश सरकार ने खर्च किया पूरा बजट, मांगी 2 गुनी धनराशि

स्वच्छ भारत मिशनलखनऊ। उत्तर प्रदेश में स्वच्छ भारत मिशन की रफ्तार काफी तेज हो गई है। अखिलेश सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से दी गई धनराशि को समय से पहले ही खर्च कर केंद्र सरकार से दोबारा धनराशि दिए जाने की मांग की है।

मिशन से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, खुले में शौच (ओडीएफ) को रोकने के लिए जिलों में अभियान काफी तेजी से चलाया जा रहा है और लोगों के ऊपर इसका काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विशेष सचिव व उप्र में स्वच्छ भारत मिशन के निर्देशक अमित गुप्ता ने आईएएनएस से विशेष बातचीत के दौरान इसकी जानकारी दी। उन्होंने उप्र में स्वच्छ भारत मिशन को लेकर चलाए जा रहे अभियान पर विस्तार से जानकारी दी।

अमित गुप्ता ने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब केंद्र सरकार की ओर से मिली धनराशि समय से पहले ही खर्च हो गई है। सरकार ने दोगुनी धनराशि दिए जाने की मांग की है। हालांकि, केंद्र ने पहले जो धनराशि जारी की उसमें काफी देरी हुई, लेकिन इसके बावजूद इस अभियान पर उसका कोई असर नहीं पड़ा।

गुप्ता ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत केंद्र सरकार का हिस्सा 60 प्रतिशत होता है और 40 प्रतिशत बजट राज्य सरकार वहन करती है। केंद्र सरकार ने जो हिस्सा (लगभग 600 करोड़ रुपये) जारी किया था, वह पूरा खर्च हो चुका है। अब केंद्र सरकार से दोगुनी धनराशि मांगी गई है।

उप्र में स्वच्छ भारत मिशन को लेकर चलाए जा रहे अभियान को लेकर हालांकि अमित गुप्ता काफी आश्वस्त दिखाई दिए। उन्होंने बताया की इस अभियान को लेकर खुद मुख्यमंत्री काफी गंभीर हैं और समय-समय पर इसकी जानकारी लेते रहते हैं।

मुख्यमंत्री के विशेष सचिव ने बताया कि योजना के तहत हर जिले को लगभग 40 करोड़ रुपये जारी होते हैं। इसी धनराशि से यह अभियान चलाया जाता है। अब तक इसमें काफी सफलता मिली है। शुरुआत में केवल एक जिला ही ओडीएफ से मुक्त हो पाया था, लेकिन अब तीन जिले खुले में शौच से मुक्त हो गए हैं।

उन्होंने बताया कि बिजनौर, शामली और कन्नौज जिले में भी स्वच्छ भारत अभियान के तहत पूरी धनराशि खर्च की जा चुकी है। यहां भी काफी तेजी से इस अभियान को चलाया जा रहा है, जिन जिलों में अच्छा काम हो रहा है वहां ज्यादा पैसा भी दिया जाता है।

अमित गुप्ता के मुताबिक, लोगों को खुले में शौच करने के खिलाफ जागरूक करने के लिए कई स्वयं सेवी संगठनों की भी मदद ली जाती है। उनकी मदद से ग्रामीण इलाकों में इसको लेकर लोगों को जागरूक किया जाता है। समय-समय पर नुक्कड़ नाटक के जरिए लोगों को समझाने का प्रयास किया जाता है।

अमित गुप्ता ने बताया कि इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि जो भी गांव पूरी तरह खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं, वहां लिखे गए स्लोगन एवं वाल पेंटिंग से भी प्रदर्शित होना चाहिए कि ये गांव खुले में शौच करने की प्रथा से मुक्त हो चुके हैं।

आईएएस अधिकारी ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) भारत सरकार द्वारा संचालित महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य भारत को अस्वच्छता के अभिशाप से मुक्त कराना है।

उन्होंने कहा, “खुले में शौच की प्रवृति देश और राष्ट्र के लिए अभिशाप है, जो विश्व में देश के गौरव को धूमिल कर रही है। इसके अलावा इस गंदी और शर्मनाक प्रथा से प्रति दिन हजारों बच्चे मरते हैं और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होते हैं।”

आईएएस अधिकारी ने बताया कि रोजाना महिलाओं को खुले में शौच करने की पीड़ा और लज्जा झेलने के लिए विवश होना पड़ता है। इसी कुप्रथा के चलते महिला के प्रति अपराध भी उत्पन्न होते हैं, जो कभी-कभी विकराल रूप धारण करते हुए कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बन जाते हैं।

अमित गुप्ता ने कहा, “हमें सामुदायिक रूप से अपने बच्चों की जीवन रक्षा, उनके स्वस्थ भविष्य तथा नारी जगत के सम्मान और उनकी अस्मत की हिफाजत के लिए खुले में शौच करने की प्रथा के अभिशाप को जड़ से समाप्त करना है और यह तभी संभव है जब हमारे मन में इस अभिशाप का सही बोध उत्पन्न हो जाए।”

उप्र में स्वच्छ भारत मिशन के निदेशक अमित गुप्ता ने सख्त कदम उठाते हुए कई जिलों के जिलाधिकारी को इस अभियान में लापारवाही करने के कारण कड़ी चेतावनी भी दी है।

सूत्रों के मुताबिक, स्वच्छ भारत मिशन अपने आप में एक बड़ा मिशन है, लेकिन फिर भी इसको लेकर कई जिलाधिकारियों की ओर से भारी कोताही की जा रही है। कई जिलाधिकारी ऐसे भी हैं, जो सरकार द्वारा शौचालय निर्माण के पैसे तक को दबाए बैठे हैं, जिसको लेकर निदेशक ने सख्त रूख अपनाया है।

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