सुप्रीम कोर्ट-“बेटी को भी पिता की संपत्ति में मिलेगा अधिकार”
एजेंसी/ नई दिल्ली : पिता की संपत्ति में बेटियों के हक के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि एक इंसान मरने के बाद ऑपरेटिव सोसायटी का फ्लैट अपनी पत्नी और बेटे के नाम पर करने की बजाए अपनी शादीशुदा बेटी को भी दे सकता है। पश्चिम बंगाल कोऑपरेटिव सोसाइटी रूल्स 1987 के मुताबिक कोऑपरेटिव सोसाइटी के फ्लैट का मालिक अपने घर के किसी भी सदस्य को नॉमिनेट कर सकता है।
कोर्ट ने यह फैसला बिस्वा रंजन सेनगुप्ता के मामले में सुनाई। इस केस में रंजन ने अपनी शादीशुदा बेटी इंद्राणी वाही को कोलकाता के सॉल्ट लेक सिटी में पूर्वांचल हाउसिंग स्टेट की मैनेजिंग कमेटी के फ्लैट का मालिकाना हक दिया था।
जिस पर उनके बेटे और पत्नी ने आपत्ति जताते हुए निर्णय को कोर्ट में चुनौती दी थी। सोसायटी के रजिस्ट्रार ने रंजन की बेटी का नाम उतराधिकारी के रुप में दर्ज करने से इंकार कर दिया। रंजन अपनी पत्नी और अपने बेटे के दुर्व्यवहार के कारण अपनी बेटी के साथ रह रहे थे।
हाइकोर्ट के एकल न्यायधीश ने इंद्राणी के नाम की अनुमति दे दी थी। लेकिन हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि इंद्राणी चूंकि सेनगुप्ता की पत्नी और बेटे के साथ प्रॉपर्टी के शेयरहोल्डर की हिस्सेदार है तो उन्हें अन्य शेयरहोल्डर्स की सहमति के साथ ही प्रॉपर्टी को अपने अधिकार में कर सकती है।
इंद्राणी ने अपेक्स कोर्ट में इस जजमेंट के खिलाफ अपील की थी। कोर्ट के आदेश के बाद कोऑपरेटिव सोसायटी के पास कोई चारा नहीं बचा। हांलाकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रंजन की पत्नी और उनके बेटे उताधिकारी बनने के मामले में अन्य फोरम में जा सकते है।