दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने समय से पहले रिटायरमेंट (वीआरएस) ले लिया है। सुनीता आयकर विभाग में असिस्टेंट एडिशनल डायरेक्टर के पद पर तैनात हैं। 15 जुलाई को उन्हें सेवामुक्त कर दिया जाएगा। 20 साल की नौकरी के बाद अब सुनीता को पेंशन-भत्ते मिलेंगे।
माना जा रहा है कि सुनीता केजरीवाल भी अपने पति की तरह राजनीति में प्रवेश कर सकती हैं। रिटायरमेंट के बाद सुनीता के पास पूरा वक्त होगा। लिहाजा, अब उन्हें राजनीति में कदम रखने में भी कोई दिक्कत महसूस नहीं होगी।
लेकिन सुनीता केजरीवाल भी अपने पति के नक्शेकदम पर चलती हैं तो अरविंद केजरीवाल के उस सिद्धांत पर सवाल उठ जाएगा, जिसमें वह खुद को परिवारवाद के खिलाफ बताते रहे हैं। केजरीवाल अपनी पार्टी को आम आदमी की पार्टी बताते रहे हैं। लेकिन सुनीता की पार्टी में एंट्री के बाद केजरीवाल की पार्टी का चेहरा बदल जाएगा।
हालांकि अभी तक मिस्टर एण्ड मिसेज केजरीवाल ने एक साथ राजनीति में आने की आधिकारिक घोषणा नहीं की है। लेकिन केजरीवाल कई मौकों पर कह चुके हैं कि वह सुनीता के सपोर्ट को नहीं भूल सकते हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतने के बाद केजरीवाल ने ‘हमेशा साथ निभाने वाली पत्नी’ को गले लगाकर थैंक्स कहा था। उन्होंने कहा था कि सुनीता कभी सामने नहीं आईं, लेकिन हमेशा पर्दे के पीछे से उनके साथ रहीं। यदि वह साथ नहीं होती तो मेरे लिए कुछ भी हासिल करना संभव नहीं होता।
कुछ अलग करने की चाह में केजरीवाल ने भी आईआरएस की जॉब छोड़ दी थी। इसके बाद उन्होंने एनजीओ शुरू किया, फिर अन्ना आंदोलन से जुड़ गए। अन्ना से अलग होने के बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी बनाई, चुनाव लड़ा और दिल्ली के मुख्यमंत्री बन गए।