गुरुवार को करें साईं की आराधना, मिट जाएंगे सारे कष्ट
साईं अपने भक्तों का सम्मान हैं। शिरडी के संत साईं बाबा को गुरू का दर्जा का प्राप्त है इसलिए साईं मंदिर में गुरूवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा के दर्शनों के लिए आते हैं। साई बाबा एक ऐसे आध्यात्मिक गुरु और फ़कीर थे, जो धर्म की सीमाओं में कभी नहीं बंधे। साईं बाबा को कोई चमत्कारी पुरुष तो कोई दैवीय अवतार मानता है। साईं बाबा ने जाति-पांति तथा धर्म की सीमाओं से ऊपर उठकर एक विशुद्ध संत की तस्वीर प्रस्तुत की थी। वे सभी जीवात्माओं की पुकार सुनने व उनके कल्याण के लिए पृथ्वी पर अवतीर्ण हुए थे।
मान्यता है कि जो भी साईं बाबा की गुरुवार को भक्ति करता है या शिरडी के दर्शन करने जाता है, उसके सभी कष्ट साईं बाबा हर लेते हैं।
साईं ने ग्यारह वचन दिए थे। यही वचन उनके आध्यात्मिक दर्शन हैं।
साईं बाबा के ग्यारह वचन और उनके अर्थ
‘जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा‘
साईं बाबा की लीला स्थली शिरडी रही है। इसलिए साईं कहते हैं कि शिरडी आने मात्र से समस्याएं टल जाएंगी। जो लोग शिरडी नहीं जा सकते उनके लिए साईं मंदिर जाना भी पर्याप्त होगा।
‘चढ़े समाधि की सीढ़ी पर, पैर तले दुख की पीढ़ी पर।‘
साईं बाबा की समाधि की सीढ़ी पर पैर रखते ही भक्त के दुःख दूर हो जाएंगे। साईं मंदिरों में प्रतीकात्मक समाधि के दर्शन से भी दुःख दूर हो जाते हैं, लेकिन मन में श्रद्धा भाव का होना जरूरी है।
‘त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा।‘
साईं बाबा कहते हैं कि मैं भले ही शरीर में न रहूं। लेकिन जब भी मेरा भक्त मुझे पुकारेगा, मैं दौड़ के आऊंगा और हर प्रकार से अपने भक्त की सहायता करूंगा।
‘मन में रखना दृढ़ विश्वास, करे समाधि पूरी आस‘
हो सकता है मेरे न रहने पर भक्त का विश्वास कमजोर पड़ने लगे। वह अकेलापन और असहाय महसूस करने लगे। लेकिन भक्त को विश्वास रखना चाहिए कि समाधि से की गई हर प्रार्थना पूर्ण होगी।
‘मुझे सदा जीवित ही जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो’
साईं बाबा कहते हैं कि मैं केवल शरीर नहीं हूं। मैं अजर-अमर अविनाशी परमात्मा हूं, इसलिए हमेशा जीवित रहूंगा। यह बात भक्ति और प्रेम से कोई भी भक्त अनुभव कर सकता है।
‘मेरी शरण आ खाली जाए, हो तो कोई मुझे बताए‘
जो कोई भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से मेरी शरण में आया है। उसकी हर मनोकामना पूरी हुई है।
‘जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का‘
जो व्यक्ति मुझे जिस भाव से देखता है, मैं उसे वैसा ही दिखता हूं। यही नहीं जिस भाव से कामना करता है, उसी भाव से मैं उसकी कामना पूर्ण करता हूं।
‘भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा‘
जो व्यक्ति पूर्ण रूप से समर्पित होगा उसके जीवन के हर भार को उठाऊंगा। और उसके हर दायित्व का निर्वहन करूंगा।
‘आ सहायता लो भरपूर, जो मांगा वो नहीं है दूर’
जो भक्त श्रद्धा भाव से सहायता मांगेगा उसकी सहायता मैं जरूर करूंगा।
‘मुझमें लीन वचन मन काया , उसका ऋण न कभी चुकाया’
जो भक्त मन, वचन और कर्म से मुझ में लीन रहता है, मैं उसका हमेशा ऋणी रहता हूं। उस भक्त के जीवन की सारी जिम्मेदारी मेरी है।
‘धन्य धन्य व भक्त अनन्य , मेरी शरण तज जिसे न अन्य‘
साईं बाबा कहते हैं कि मेरे वो भक्त धन्य हैं जो अनन्य भाव से मेरी भक्ति में लीन हैं। ऐसे ही भक्त वास्तव में भक्त हैं।
कैसे करें साईं बाबा की आराधना
किसी भी बृहस्पतिवार को इन वचनों को पीले कागज पर लाल कलम से लिख लें।
इन वचनों को अपने पूजा स्थान, शयन कक्ष और काम करने की जगह पर लगा दें।
पूजा के पहले, सोने से पहले, काम करने के पहले और सोकर उठने के बाद इन वचनों को पढ़ें।
इन्हें पढ़ने के बाद साईं बाबा का स्मरण करें, आपको साईं बाबा की कृपा जरूर मिलेगी।
साईं बाबा के नाम से गरीबों को वस्त्र और भोजन दान करें।