तंत्र नहीं ये विधा है विज्ञान, असाध्य रोगों का नाश करने में साबित हुई सबसे अव्वल  

सम्मोहन यानी हिप्नोटिज्मनई दिल्ली। सम्मोहन यानी हिप्नोटिज्म के बारे में आप सभी ने पढ़ा और सुना होगा। ज्यादातर लोगों का मानना यह है कि यह एक ऐसी विधा है जिसकी मदद से इसके जानकार लोगों को अपने वश में कर अपना स्वार्थ साधते हैं। बता दें असल हकीकत इससे कहीं परे है। यह बात पूरी तरह से सही है कि इस विधा का जानकार किसी को भी अपने वश में करने का सामर्थ्य रखता है। लेकिन यह इस विधा का एक अंश मात्र है।

सम्मोहन जैसी विलक्षण तकनीक को यहीं तक सीमित मान लेना उसकी विशिष्टता को कम करके आंकना होगा। कारण यह है कि सम्मोहन केवल यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विधा अपने आप में पूरा एक विज्ञान है।

इसकी मदद से बड़ी से बड़ी दुर्लभ बीमारियों का इलाज किया जा सकता है, जिसका हल शायद पूरी तरह से विज्ञान की और किसी भी विधा में नहीं है। विदेशों में भी इस विधा को बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है।

विशेष रूप से विभिन्न असाध्य रोगों के शत प्रतिशत इलाज में सम्मोहन विद्या का उपयोग किया जा रहा है। अब कुछ ऐसे रोगों के बारे में जानते हैं जिनके उपचार में सम्मोहन से चमत्कारिक लाभ हुए हैं।

डिप्रेशन या हायपरटेंशन

जीवन में डिप्रेशन अथवा हायपरटेंशन जैसी दिक्कतों का सामना कर रहे लोगों को विशेषज्ञों द्वारा सम्मोहित कर उन्हें यह भावना दी जाती है कि जो हो रहा है, उसके बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। सम्मोहन के द्वारा चिंता में डूबे व्यक्ति के मस्तिष्क को विचार शून्य किया जाता है। इस तरह मन से भार उतरने के बाद उसे सम्मोहित अवस्था में ही कहा जाता है कि वह अब आगे के जीवन में यह भार लेकर नहीं जाएगा, सब यहीं भूल जाएगा, जागने पर इसे वापस याद नहीं करेगा। इसके बाद व्यक्ति को सम्मोहन की स्थिति से धीरे से जगाया जाता है और सामान्य स्थिति में आकर वह वाकई में सब भूल जाता है।

लेबर पेन और नॉर्मल डिलीवरी के लिए

बच्चे को जन्म देना दुनिया की सबसे दर्दभरी प्रक्रिया मानी जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सम्मोहन के द्वारा ना सिर्फ डिलीवरी के समय होने वाले दर्द को दूर किया जा सकता है, बल्कि ऑपरेशन को भी टाला जा सकता है।

इस प्रक्रिया में प्रसव पीड़ा शुरू होते ही मां को हिप्नोटाइज किया जाता है और उसे महसूस कराया जाता है कि दर्द का नामोनिशान नहीं है।

सम्मोहित अवस्था में वाकई महिला को दर्द की अनुभूति नहीं होती और इतनी कष्टदायक प्रक्रिया आसानी से पूरी हो जाती है।

अगर किसी कारणवश ऑपरेशन करना जरूरी ही हो, तो भी सम्मोहन की स्थिति में बेहोशी की दवा देने की जरूरत नहीं रहती। मरीज बिना किसी तकलीफ के ऑपरेशन करवा लेता है और बेहोशी की दवा के गंभीर साइड इफेक्ट्स से बच जाता है, जो दिल को कमजोर बनाती हैं।

दर्द से मुक्ति

सम्मोहन के द्वारा शरीर के किसी भी हिस्से में हो रहे दर्द का समूल निवारण भी किया जा रहा है। विशेष रूप से सिर दर्द, पेट दर्द और दांतों के दर्द में अब सम्मोहन का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। कई स्थानों पर दांत निकलवाते समय भी उस स्थान को सुन्न करने के लिए दवा की जगह सम्मोहन विधा का ही उपयोग किया जा रहा है।

मानसिक विक्षिप्तता

कोई ना कोई मानसिक रोग मनुष्य को खाए जा रहा है। इस परेशानी का पूरा इलाज सम्मोहन में है। सम्मोहन का सीधा संबंध मन और मस्तिष्क से होता है। यही वजह है कि सम्मोहन का सबसे ज्यादा प्रभाव भी इन पर ही पड़ता है। ऐसी किसी भी परेशानी से घिरे व्यक्ति को सम्मोहित कर उसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

चिकित्सकों का मानना है कि किसी भी तरह की मानसिक परेशानी झेल रहे 90 प्रतिशत रोगियों को सम्मोहन के द्वारा पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। माइग्रेन, मिर्गी आदि गंभीर और असाध्य रोग से पीडि़त लोगों को भी सम्मोहन से ठीक होता देखा गया है।

खोई यादास्त को वापस लाना

कई बार किसी दुर्घटना या सदमे की वजह से व्यक्ति की याददाश्त खो जाती है। सम्मोहन के द्वारा ऐसे व्यक्ति का इलाज भी संभव है। सम्मोहन के द्वारा व्यक्ति के दिमाग को वश में कर उसे उसके अतीत की बातें याद दिलाई जाती हैं।

इन बातों को जानकर, उसके सामने दोहराकर उसे कहा जाता है कि जागने के बाद उसे यह सब भूलना नहीं है। इलाज के बाद ऐसे व्यक्तियों की याददाश्त वापस आ जाती है।

सम्मोहन से शिक्षा

कई बार विद्यार्थी अपने जीवन में इस वजह से तनाव ले लेते हैं कि वे किसी विषय को पढ़ने-समझने में अक्षम हैं। सम्मोहन द्वारा इसका भी इलाज संभव है।

इस प्रक्रिया में किसी भी विद्यार्थी को कठिन लगने वाला विषय लिया जाता है और उसे सम्मोहित करने के बाद उस विषय के मुख्य बिंदुओं, आधारों को उसके सामने दोहराया जाता है।

जागने से पहले उसे बताया जाता है कि अब यह विषय तुम्हारे लिए एकदम आसान बन चुका है और तुम इसे कभी नहीं भूलोगे। इस तरह वही कठिन विषय विद्यार्थी के बाएं हाथ का खेल बन जाता है।

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