रूस ने सबसे पहले कोरोना की वैक्सीन बनाने का किया दावा, भारत में वैक्सीन को उपलब्ध कराने में मदद करेगा विदेश मंत्रालय

दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। भारत में इनदिनों प्रतिदिन 60 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। इस बीच दुनियाभर में वैज्ञानिक कोरोना की वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। दुनिया में रूस ने सबसे पहले कोरोना की वैक्सीन बनाने का दावा किया है। इस बीच, रूस ने कहा है कि वह इस वैक्सीन के उत्पादन के लिए भारत के साथ साझेदारी करने का इच्छुक है। ऐसे में ये सवाल सबके मन में उठ रहा है कि आखिर दूसरे देशों में तैयार हो रही कोरोना वैक्सीन को भारत में लोगों के इस्तेमाल के लिए कैसे उपलब्ध होगी। इस सवाल का जवाब विदेश मंत्रालय ने दिया है।

विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि वह दूसरे देशों में तैयार हो रही कोरोना वायरस की वैक्सीन को भारत में उपबल्ध कराने में मदद करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा है कि उन्होंने वैक्सीन प्रबंधन का राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह(National Expert Group on Vaccine Administration for COVID-19) बनाया है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह, दूसरे देशों की कोरोना वैक्सीन बनाने में रुचि रखने वाली भारतीय कंपनियों की मदद करेगा। उन्होंने साथ ही कहा कि वैक्सीन का राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह, इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाएगा कि प्रासंगिक परीक्षण डाटा भारत को उपलब्ध कराया जाए।

यह पूछे जाने पर कि भारत रूसी वैक्सीन निर्माता कंपनी आरडीआईएफ(RDIF) के साथ विचार कर रहा है और क्या भारत आश्वस्त है कि सभी प्रोटोकॉल का पालन फर्म द्वारा किया गया है ? इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार ने कोरोना वैक्सीन के लिए एक राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह का गठन किया है। इसका उद्देश्य भारत को दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन बनाने, तैयार करने, उत्पादन करने और लॉन्च करने के लिए दुनिया भर में चल रहे किसी भी प्रयास में सबसे आगे रखना है। 

भारत में रूसी वैक्सीन के उत्पादन की इच्छा

रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआइएफ) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) किरिल दिमित्रीव ने कहा है कि अपनी कोरोना की वैक्सीन ‘स्पुतनिक-5’ के उत्पादन के लिए उनका देश भारत के साथ साझेदारी का इच्छुक है। स्पुतनिक-5 दुनिया की पहली संभावित कोरोना वैक्सीन है। इसे रूस की गमालिया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने आरडीआइएफ(RDIF) के साथ मिलकर विकसित किया है। इस वैक्सीन का फिलहाल तीसरे चरण का ट्रायल नहीं किया गया है। 

LIVE TV