
इस गांव में भूलकर मत जाना, गए तो वापस नही लौट सकते। राजस्थान में एक गांव देश में नहीं बल्कि दुनिया में मशहूर हो चुका है। मशहूर होने की वजह इसकी कहानी है। यहां रात में खौफनाक मंजर होता है। हालांकि देश में कई हंटेड प्लेस को लेकर बहुत सारे मिथ हैं, लेकिन यहां दिल्ली की पैरानॉर्मल सोसाइटी के लोग आकर अपने आधुनिकतम डिवाइस से ये बात सिद्ध कर चुके हैं कि यहां आत्माएं हैं और रात के वक्त कंधे पर हाथ रख चले जाने को कहती हैं। जानिए क्या है इस गांव की कहानी और सच्चाई।
आपको राजस्थान के ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहा है जो दिन में तो खूब गुलजार रहता है, लेकिन रात में यहां आत्माएं अपना डेरा डाल लेती हैं।ये गांव जैसलमेर से करीब 18 किलोमीटर दूर भुतहा गांव कुलधरा हैं। यहां रात में तापमान ऐसे घटता-बढता है कि आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। एक सदस्य ने तो यहां तक बताया कि उसके कंधे पर किसी अदृश्य शक्ति ने हाथ रख दिया था। और वो वहां से चले जाने के लिए वॉर्न कर रही थी।
इस हंटेड प्लेस के पीछे की कहानी एक खूबसूरत लड़की है जिसके चलते पूरा गांव वीरान हो गया था। पहले यहां मेहनती पालीवाल ब्राह्मण रहा करते थे। कहते हैं यहां के मुखिया की 18 साल की बेटी इतनी खूबसूरत थी कि हर कोई उससे बात करना चाहता था। एक दिन जैसलमेर के आशिक मिजाज दीवान की नजर इस लड़की पर पड़ी और वह इससे शादी करने के लिए अड़ गया। दीवान ने हद ही कर दी। उसने उस लड़की के घर संदेश भिजवाया। उसने लिखा कि अगली पूर्णमासी तक लड़की नहीं मिली तो गांव पर हमला करके उसे उठा ले जाऊंगा।
तब गांव वालों के सामने बड़ी मुश्किल की घड़ी थी। ऐसे में गांव के सभी लोग पंचायत में इकट्ठा हुए और तय किया कि रातो-रात गांव छोड़कर सभी चले जाएंगे। लेकिन खून-पसीने से बसाया हुआ गांव ब्राह्मणों को मजबूरी में छोड़ना पड़ा। उनकी आत्मा को बहुत कष्ट हुआ और जाते-जाते उन्होंने शॉप दे दिया कि यहां कोई भी रात में रुकेगा तो जिंदा नहीं बचेगा। मेहनती और उद्यमी पालीवाल ब्राह्मणों ने यह गांव 1291 में बसाया था। उस समय इस गांव में 600 घर थे। यहां की बनावट में इतनी सूझ-बूझ दिखती है कि आधुनिक इंजीनियरिंग भी इसके आगे दांतों तले उंगली दबा ले।
जैसलमेर की तपती रेत में ईंट और पत्थर से बने गांव में गर्मी का बिल्कुल भी अहसास नहीं होता है। यहां घरों में ताला नहीं लगाया जाता था। यहां ध्वनि प्रणाली इतनी अच्छी थी कि रात में गांव में प्रवेश लेते ही गांव वालों को उसकी आवाज मिल जाती थी। घरों के झरोखे आपस में जुड़े हुए थे। इससे एक घर से अनेक घरों तक आसानी से आवाज पहुंचाई जा सकती थी। कहते हैं ये घर ऐसे कोण में बनाए गए हैं जहां से हवाएं सीधे प्रवेश करके निकल जाती हैं।