
नई दिल्ली : अब सरकारी कंपनी इंडिया पोस्ट ने घाटे के मामले में बीएसएनएल और एयर इंडिया को भी पीछे छोड़ दिया हैं। जहां वित्त वर्ष 2018-19 में इंडिया पोस्ट को कुल 15,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ हैं। लेकिन पिछले तीन वित्त वर्ष में इंडिया पोस्ट का घाटा बढ़कर 150 फीसदी की बढ़त हुई है. अब यह सबसे ज्यादा घाटे वाली सरकारी कंपनी हो गई हैं।
बता दें इस घाटे की वजह कर्मचारियों को वेतन और अन्य भत्ते देने के लिए होने वाले खर्च को बताया जा रहा है. इस मद पर इंडिया पोस्ट को अपने सालाना राजस्व का 90 फीसदी तक खर्च करना पड़ता हैं। जहां घाटे के लिए बदनाम दूसरी सरकारी कंपनी बीएसएनएल को वित्त वर्ष 2018-19 में 7,500 करोड़ रुपये और एयर इंडिया को वित्त वर्ष 2017-18 में 5,337 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ हैं।
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इंडिया पोस्ट को वित्त वर्ष 2018-19 में 18,000 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ था, जबकि उसे वेतन और भत्तों में 16,620 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे। इसके अलावा बीएसएनल को पेंशन पर करीब 9,782 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे, यानी उसका कुल कर्मचारी लागत 26,400 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था।
उत्पाद लागत और कीमत एवं पारंपरिक डाक सेवाओं की तुलना में अधिक सस्ते और तेज विकल्प मौजूद होने की वजह से इंडिया पोस्ट की परफॉर्मेंस सुधारने और इसकी आय बढ़ाने के प्रयास सफल नहीं हो रहे हैं। जहां उत्पादों की कीमत बढ़ाने के अलावा कंपनी अपने 4.33 लाख कामगारों और 1.56 लाख पोस्ट ऑफिस के नेटवर्क के दम पर ई-कॉमर्स और अन्य वैल्यू एडेड सर्विसेस में संभावनाएं खंगाल सकती हैं।
इंडिया पोस्ट अपने हर पोस्ट कार्ड पर 12.15 रुपये ख़र्च करता है लेकिन उसे सिर्फ 50 पैसे यानी लागत का चार फीसदी ही मिलता हैं। औसतन पार्सल सेवा की लागत 89.23 रुपये है लेकिन कंपनी को इसका सिर्फ आधा ही मिलता है , लेकिन बुक पोस्ट, स्पीड पोस्ट और रजिस्ट्रेशन आदि के साथ भी ऐसा ही होता है।
दरअसल व्यय सचिव की अध्यक्षता में व्यय वित्त समिति ने हाल ही में डाक विभाग से कहा था कि यूजर्स से शुल्क वसूलने के लिए कंपनी को आत्मनिर्भर होना चाहिए क्योंकि केंद्र के बजट में इस तरह के रेकरिंग वार्षिक घाटा शामिल नहीं होता। लेकिन लागत बढ़ती जा रही है लेकिन आय घट रही है क्योंकि इसके विकल्प मौजूद है। लोग डाक के बजाए अब ईमेल, फोन कॉल आदि का इस्तेमाल करने लगे हैं।