बेटी ने किया देश का नाम रोशन, जीता बहादुरी का पुरस्‍कार

नई दिल्‍ली। आज तक आपने नेवी या सेना में पुरुषों की बहादुरी के किस्‍से सुनें होंगे, पर आज हम जिसके बारे में आपको बतानें जा रहें है वह एक बहादुर महिला हैं।

बहादुर महिला

कैप्‍टन राधिका मेनन भारत की पहली महिला हैं जो मर्चेंट नेवी में बतौर कैप्‍टन कार्यरत हैं। पिछले साल बंगाल की खाड़ी में मछली पकड़ने वाली एक नाव से सात मछुआरों को बचाने में अपनी असाधारण बहादुरी दिखाने को लेकर आईएमओ के पुरस्कार से पुरस्कृत होने वाली पहली महिला बन गयी हैं। कैप्टन राधिका मेनन ने कल यहां अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन के मुख्यालय में पुरस्कार समारोह में अपना पदक और प्रमाणपत्र ग्रहण किया।

पुरस्कार ग्रहण करने के बाद मेनन ने कहा, ‘‘अपने और अपनी टीम के लिए इस सम्मान से मैं गौरवान्वित महूसस कर रही हूं। मुश्किल में फंसे लोगों की मदद करना नाविक का कर्तव्य है और मैंने अपना कर्तव्य पूरा किया। नाविक का काम महान पेशा है जो विश्व व्यापार एवं अर्थव्यवस्था एवं सांस्कृतिक को एक करने में योगदान देता है। यह पहचान का हकदार है लेकिन विडंबना है कि इसे जो  पहचान मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही है।

मेनन आईएमओ समुद्र असाधारण बहादुरी पुरस्कार ग्रहण करने वाली पहली महिला हैं जिन्हें भारत सरकार ने नामित किया था। यह पुरस्कार उन लोगों को अंतरराष्ट्रीय पहचान देने के लिए प्रदान किया जाता है जो अपनी जान की बाजी लगाकर असाधारण बहादुरी दिखाते हैं।

उनका पुरस्कार जून, 2015 में दुर्गम्मा नौका के सात मछुआरों को सफलतापूर्वक बचाने से संबंधित है । खराब मौसम में इंजन खराब होने जाने नौका भटक गयी थी। यह नौका ओड़िशा में गोपालपुर के तट से करीब ढाई किलोमीटर दूर शिपिंग कोरपोरेशन ऑफ इंडिया के जहाज संपूर्ण स्वराज को दिखी थी जिसकी प्रभारी मेनन थी। मेनन ने बचाव अभियान का आदेश दिया था।

LIVE TV