बढ़ते तापमान के साथ विद्युत विभाग ने भी किया परेशान
जैसे-जैसे ताप बढ़ रहा है वैसे वैसे ही विद्युत विभाग अपने पुराने ढर्रे पर आने लगा है। अप्रैल माह में ही जब तापमान की यह स्थिति है तो मई-जून एवं जुलाई में तो आसमान से आग सी बरसेगी। ऊपर से रात और दिन में भारी कटौती से आमजन जीवन खासा प्रभावित होने लगा है। बिजली की रात और दिन में भारी कटौती पर अधिकारी और कर्मचारी चुप्पी साधे है। कभी लोकल फाल्ट का कारण बताया जाता है तो कभी कन्ट्रोल से बन्द तो कभी इमरजेन्सी कटौती की बात कहकर जनता का मुंह बन्द कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री का आदेश को भी ये विद्युत विभाग के अधिकारी ठेगा दिखा रहे है।
जैसे-जैसे गर्मी का प्रकोप बढ़ रहा है वैसे वैसे बिजली भी अपने पुराने ढर्रे पर सी लगी है। मार्च का दूसरा पखवारा शुरू होते ही मौसम के मिजाज में गर्माहट सी आने लगी थी। उसी के साथ ही बिजली भी अपने पुराने अंदाज में आने लगी। तेज धूप, लू के थपेड़े एवं आग उगलते सूरज से बेहाल आमजन को खुदा और भगवान के साथ-साथ अपने को जमीनी भगवान कहलाने वाले विद्युत देवता भी गिरगिट की तरह रंग बदलकर गुर्राने से लगे। मार्च का दूसरा पखवारा लगते ही बिजली की रात और दिन में जो आंख मिचैली शुरू हुई तो बढ़ती ही गयी और अप्रैल शुरू होते ही बिजली की जो आंख मिचैली शुरू हुई उसने थमने का नाम नही लिया। बीस घण्टे की विद्युत आपूर्ति पर जो ग्रहण सा लगा उसने अप्रैल शुरू होते-होते आपूर्ति का शिडयूल धराशाही हो गया। स्थिति यह हो गयी कि कब बिजली आयेगी और कब चली जायेगी इसका पता ही नही रहता। दो घण्टे दिन और दो घण्टे रात में कटौती के शिडयूल को ग्रहण सा लग गया। अब दिन में तो बिजली के आने जाने का सिलसिला जारी ही रहता रात में तो घण्टो बिजली गुल रहती रात नौ बजे से पहले चाहे बिजली साढ़े आठ बजे तक न मिले और साढे आठ बजे दो-तीन घण्टे के बाद बिजली आ भी गयी तो नौ बजे चली अवश्यक जायेगी। फिर एक बजे आयेगी या तीन बजे किसी को नही पता। मुख्यमंत्री के बीस घण्टे विद्युत आपूर्ति के आदेश को विद्युत विभाग के अधिकारी जमकर मखौल उड़ा रहे है और सत्ताधारी नेता मन्द-मन्द मुस्कुरा कर देख रहे हैं!