फीटल थेरेपी गर्भवती, गर्भस्थ शिशु की देखभाल में कारगर

नई दिल्ली। इंद्रप्रस्थ अपालो हॉस्पिटल समूह के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. प्रताप सी. रेड्डी ने मंगलवार को कहा कि फीटल थेरेपी गर्भवती मां, और उसकी कोख में पल रहे शिशु की देखभाल में अत्यंत कारगर है, और जन्मजात दोषों वाले बच्चों की बढ़ती संख्या के कारण प्रीनेटल सर्जरी एक विकल्प बनती जा रही है। डॉ. रेड्डी ने यहां ‘ मेडिसिन अपोलो सेंटर फॉर फीटलन’ के 10 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से यह बात कही।

फीटल थेरेपी

डॉ. रेड्डी ने कहा, “आज फीटल थेरेपी को मां और अजन्मे बच्चे दोनों की विशेष देखभाल के लिए बेहद प्रभावी माना जाता है। साथ ही जन्मजात दोषों वाले शिशुओं की बढ़ रही संख्या के कारण ऐसे बच्चों के इलाज के लिए प्रीनेटल सर्जरी एक विकल्प बनती जा रही है।”

उन्होंने कहा, “हम गर्भ के दौरान ही समय रहते जांच के लिए जागरूकता पैदा करना चाहते हैं, ताकि बच्चे के स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े।”

इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के फीटल मेडिसिन विभाग की वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. अनीता कौल ने कहा, “फीटल सर्जरी गर्भ में असामान्यताओं के उपचार की एक जटिल प्रक्रिया है। पिछले 20 वर्षो में हुए तीव्र वैज्ञानिक विकास के कारण गर्भधारण के 12वें सप्ताह में ही गर्भ की जटिलताओं का पता लगाया जा सकता है।”

डॉ. कौल ने कहा कि फीटल मेडिसिन की मदद से जुड़वा बच्चों में प्लेसेंटा यानी गर्भनाल से जुड़ी जटिलताओं का उपचार किया जा सकता है, साथ ही डाउन सिंड्रोम जैसी जटिल समस्या का भी समय रहते पता लगाया जा सकता है।

डॉ. रेड्डी ने इस मौके पर फीटल मेडिसिन (भ्रूण चिकित्सा) की टीम को बधाई दी और उन बच्चों और उनके अभिभावकों के साथ कुछ समय बिताया, जिनका पिछले एक दशक में फीटल मेडिसिन सेंटर में इलाज हुआ था।

डॉ. रेड्डी ने कहा, “द अपोलो सेंटर फॉर फीटल मेडिसिन ने 2006 में उत्तर भारत के एकमात्र समर्पित फीटल मेडिसिन सेंटर का संचालन शुरू किया था। पिछले कुछ दशकों में फीटल इमेजिंग और प्रीनेटल टेस्टिंग तकनीक में व्यापक सुधार हुआ है।”

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