प्रकृति का रौद्र रूप देख ग्रामीण हुए बेबस और लाचार

रिपोर्ट: कुलदीप राणा आजाद

रूद्रप्रयाग : आधुनिकता की अंधी दौड़ में भले ही मानव सभ्यताएं विकास के कितने ही कीर्तिमान स्थापित क्यों न कर ले, लेकिन प्रकृति जब अपना रौद्र रूप दिखाती है तो इंसानी ताकत बेबस और लाचार नजर आती हैं।

प्रकृति का रौद्र रूप देख ग्रामीण हुए बेबस और लाचार

आपदा की दृष्टि से जोन-5 में चिन्हित रूद्रप्रयाग जिले में हर साल अलग-अलग क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदायें अपना कहर बरपाती है जिस कारण बड़े पैमाने पर जान माल का नुकसान होता हैं।

बृहस्पतिवार की रात जनपद के विकासखण्ड अगस्त्यमुनि के चाका गांव में प्रकृति ने ऐसा कोहराम मचाया कि सहमें ग्रामीण सम्भल नहीं पा रहे हैं। देखिए ग्राउण्ड जीरों की खास रिपोर्ट…

वास्तु अनुसार जानें घर में किन जगहों पर रखें जूते-चप्पल

पहाड़ों में प्राकृतिक आपदाओं का हमेशा से बोलबाला रहा है। खासतौर पर अगर केदारघाटी की बात करें तो यहां 2013 की भीषण आपदा से लोग अभी उभर ही पा रहे थे कि फिर से प्रकृति अपना कहर बरपा रही है।

बृहस्पतिवार की रात्रि को चाका गांव में बादल फटने के कारण भारी ताबाही मच गई। रात करीब साढ़े ग्यारह बजे यकायक आई मूसलाधार बारिश ने ऐसा रौद्र रूप दिखाया कि देखते ही देखते एक के बाद एक ग्रामीणों के आशियाने तास के पत्तों की तरह ढहने लगे।

गांव के ऊपरी भू-भाग से हुए कटाव और मलबे ने गाँव की वर्षों पुरानी अवसंरचना को पूरी तरह नष्ट-भ्रष्ट कर दिया।

इस रक्षा बंधन पर सूनी न रह जाये सैनिक भाइयों की कलाई ,पॉकेट मनी से छात्राओं ने भेजी राखी 

चाका गांव के ऊपरी हिस्से से आए सैलाब ने क्या मकाने, क्या गौशालाये। खेती-बाड़ी, पेयजल और विद्युत लाइने सब कुछ तबाह कर दिया। गांव के दोनो ओर से उफान पर आए गदरे और घरों में घुसे मलबे से बाहर निकलने के लिए ग्रामीण जिंदगी बचाने की जदोजहद कर रहे थे।

स्याह अंधेरी काली रात और प्रकृति के इस भयावाह मंजर से किसी तरह ग्रामीण रात के दो-तीन बजे तक सुरक्षित स्थानों पर पहुंच पाए।

अपनी जिंदगी भर की पूँजी और अपने हाथों से सजाये-सँवारे आशियाने को अपने ही आँखों के सामने मलबे में बिखरा देख ग्रामीण अपने आँसु नहीं रोक पा रहे हैं। कुंठित और रूआंसे स्वर में ग्रामीण कहते हैं कि उनके बच्चों के प्रमाण पत्र, बैंक कागजात, नगदी, ज्वैलरी के साथ ही लत्ते-कपड़े और खाद्यान सामग्री कुछ भी उनके पास नहीं बचा है|

ऐसे में जहां ग्रामीणों का वर्तमान चैपट हो गया है वहीं अब उन्हें भविष्य की चिंता भी सताने लगी। चाका गांव में बादल फटने की सूचना जिला प्रशासन से लेकर आपदा प्रबन्धन विभाग को रात को दी गई थी लेकिन खराब सड़कों के कारण राहत बचाव की टीम मौके पर नहीं पहुंच पाई।

अगस्त्यमुनि पुलिस जरूर घटना स्थल पर पहुंची लेकिन अंधेरा होने के कारण राहत बचाव के कार्य नहीं हो सकें। उसके बाद आज राजस्व उपनिरीक्षक ने गांव का मौका मुआयना किया। आपदा में अपना सबकुछ गंवा चुके पीड़ितों का गांव के पंचायत भवन पर राहत शिवर लगाया गया है।

15 अगस्त को देखते हुए सख्त हुई सुरक्षा व्यवस्था, ट्रेनों में चलाया गया चेकिंग अभियान

चाका गाँव में चार परिवारों के आशियाने पूरी तरह से इस तबाही की भेंट चढ़े हैं जबकि 20 परिवारों को आंशिक रूप से नुकसान हुआ है। साथ ही 4 गौशालायें और उनके अंदर करीब एक दर्जन पशु भी मलबे में जिंदा दफन हो गए। पीड़ित परिवारों हालांकि प्राथमिक राहत देने के लिए पंचायत भवन में शिविर लगाया गया है लेकिन इन परिवारों के सामने यक्ष प्रश्न यहीं है कि आखिर ये कब तक राहत शिविरों में दिन काटने के लिए मजबूर रहते हैं?

LIVE TV