पीएम मोदी के पीओके और बलूचिस्तान वाले बयान पर पाकिस्तान में कोहराम
दिल्ली। आजादी दिवस पर लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी द्वारा अपने भाषण में बलूचिस्तान और पीओके का जिक्र करना पाकिस्तान मीडिया को नागवार गुजरा है। पीएम के भाषण से पाक में कोहराम सा मच गया है।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पीएम मोदी ने कश्मीर मसले पर सभी पार्टियों की बैठक में बलूचिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा किए गए अत्याचार का मुद्दा उठाया था। स्वतंत्रता दिवस भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि बलूचिस्तान, गिलगित और पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों ने पिछले कुछ दिनों में मुझे धन्यवाद बोला है।
मोदी के शुक्रवार के बयान के बाद कई बलूच नेताओं ने उनका आभार जताया था। बलूच रिपब्लिकन पार्टी (BRP) के नेता बरहुमदाग बुगती ने कहा था कि वह चाहते हैं कि भारत पाकिस्तान से उनको अलग करवाने की आवाज उठाए। वहीं एक अन्य बलूच नेता मेहरान मरी ने कहा है कि पाकिस्तान और पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान में जनसंहार कर रहे हैं। मरी यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र में बलोच प्रतिनिधि हैं। कई बलोच अप्रवासियों ने भारतीय पीएम को धन्यवाद देते हुए ट्वीट किया था। लेकिन पाकिस्तानी अखबारों ने पीएम मोदी के बयानों पर आलोचनात्मक रुख अपनाया।
पाकिस्तानी अंग्रेजी अखबार डॉन ने “मोदी की आक्रामक भाषा” शीर्षक से लिखे संपादकीय में भारतीय पीएम के भाषण को “कूटनीतिक प्रतिमान” का उल्लंघन बताया। अखबार के अनुसार भारतीय पीएम के बयान को पाकिस्तान धमकी की तरह देखने की ज्यादा संभावना है। अखबार के अनुसार भारतीय पीएम दोनों देशों के बीच की असली समस्या की अनदेखी कर रहे हैं।
पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री नवाब सनाउल्लाह ज़हरी का बयान छापा जिसमें उन्होंने भारतीय पीएम के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। ज़हरी ने अखबार से कहा, “बलूचिस्तान की सरकार और जनता मोदी के बयान को पूरी तरह खारिज करती है।” ज़हरी ने भारतीय पीएम द्वारा बलूचिस्तान की कश्मीर से तुलना करने को भी गलत बताया। ज़हरी ने अखबार से कहा, “बलूचिस्तान के लोग देशभक्त और वफादार हैं। और वो देश के दुश्मनों की चाल में नहीं फंसेंगे।”
पाकिस्तानी अखबार द नेशन ने सोमवार को अपने संपादकीय में जम्मू-कश्मीर में होने वाली हिंसा का मुद्दा उठाया है। अखबार ने लिखा है कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के लोगों को तब तक “कूटनीतिक, राजनीतिक और नैतिक समर्थन” देता रहेगा जब तक उन्हें आत्म-निर्णय के अधिकार नहीं मिल जाता।