आ गया पानी का ‘डॉक्टर’, सिर्फ 30 सेकेंड में करेगा जांच
नई दिल्ली| ब्रिटेन स्थित बर्मिंघम यूनिवर्सिटी ने पानी की जांच करने वाला एक अनोखा यंत्र विकसित किया है। इससे भारत जैसे देशों में जलजनित बीमारियों से लोगों की जिंदगी को बचाया जा सकेगा।
यूनिवर्सिटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के एक दल ने इस उपकरण को विकसित किया है। इसे ‘डुओ फ्लोर’ नाम दिया गया है। उपकरण पानी का स्कैन कर उसमें मौजूद प्रदूषणकारी तत्वों की पहचान करता है और साथ ही साथ बता देता है कि पानी पीने योग्य है या नहीं।
पानी की जांच होगी आसान
यह उपकरण 30 सेकेंड में इसका पता लगा लेता है जबकि मौजूदा विधि से पानी की गुणवत्ता जांचने में 12 घंटे से ज्यादा समय लगता है। बताया जा रहा हहै कि डुओ फ्लोर पोर्टेबल है और काफी सस्ता भी है। इसकी तकनीक उपयोग करने वाले के अनुकूल है और इसके लिए विशेषज्ञ की जरूरत नहीं है।
शोधकर्ताओं के दल का नेतृत्व करने वाले प्रोफेसर जॉन ब्रिजमैन ने बताया कि यंत्र लोगों को सुरक्षित पानी उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण है। यह जल प्रबंधन की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में लोगों की जिंदगी बचाना संभव हो पाएगा। जलजनित बीमारियां विश्व समुदाय के लिए चिंता का विषय हैं। दुनियाभर में अब भी 76.8 करोड़ लोग शुद्ध पेयजल से वंचित हैं।
दिल्ली में शोध की योजना
बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों का दल टेरी यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों के साथ दिल्ली के पेयजल की गुणवत्ता पर शोध करना चाहता है। यमुना के किनारे बसे इस शहर के लोग रोजमर्रा की जलापूर्ति के लिए इस नदी के पानी पर निर्भर करते हैं। इसके अलावा इलाके में बहुत सारे लोग हैंड पंप से निकाले गए भूजल कर निर्भर हैं जिसके प्रदूषितहोने की संभावना रहती है।
जल उद्योग के लिए उपयोगी डुओ फ्लोर पानी में ऑर्गेनिक और मायक्रोबियल पदार्थों का पता लगाने में जल उद्योग के लिए लाभदायक हो सकता है। इससे ट्रीटमेंट प्लांट में प्रोसेसिंग सुधारने, जलाशयों और नदियों के पानी की गुणवत्ता जांचने में मदद मिलेगी।