नोटबंदी का असर : भारत-नेपाल बॉर्डर पर ठप हुआ बिजनेस

नोटबंदी का असरनई दिल्ली। नोटबंदी का असर भारत के व्यापार पर ही नहीं बल्कि नेपाल के व्यापार पर भी दिखाई दे रहा है। पिछले कई दिनों से उत्तराखंड के इलाकों में व्यापार चौपट हो गया है। एक तरफ जहां भारतीय व्यापारियों को पेमेंट मिलने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, नोटबंदी की मार नेपाली मजदूरों पर पड़ी है।

नेपाल से सटे इलाकों में भारतीय व्यापारियों की कमाई का एक बहुत बड़ा हिस्सा नेपाली ग्राहकों से आता है और इसी तरह नेपाल के बाजारों में नेपाली से ज्यादा भारतीय करेंसी चलन में रहती है। इसी करेंसी से नेपाली व्यापारी भारतीय व्यापारियों से जरूरी सामान खरीदते आए हैं। लेकिन नोटबंदी के बाद हालात पूरी तरह बदले नजर आ रहे हैं। इसका खामियाजा नेपाल के साथ भारतीय व्यापारियों को भी उठाना पड़ रहा है।

नेपाल सीमा से लगे उत्तराखंड के इलाके पिथौरागढ़ में व्यापार संघ अध्यक्ष पवन जोशी का कहना है कि नोटबंदी के बाद नेपाली ग्राहक आने तो कम हुए ही हैं, वहीं नेपाल के व्यापारियों के साथ भी बिजनेस चौपट सा हो गया है। उनके पास खरीदने के लिए नई करेंसी नहीं है और न ही हमारे पास ही इतनी करेंसी है। यही हाल नेपाल से लगे भारतीय इलाके बनबसा का भी है। यहां के एक व्यापारी मनोज बिष्ट ने कहा कि नोटबंदी की वजह से करेंसी की बहुत दिक्कत हो गई है। कुछ दिनों तक तो हमने नेपाल के व्यापारियों को उधारी में सामान दिया लेकिन अब उधारी कितनी करें। हमें भी तो आगे सामान खरीदना होता है। उन्होंने बताया कि नेपाल सीमा से लगे भारतीय बाजार, जिनमें हमेशा रौनक रहती थी, वहां अब सन्नाटा पसरा है।

इससे भी ज्यादा दिक्कत का सामना नेपाली मजदूरों को करना पड़ रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पूरे उत्तराखंड में करीब 50 हजार नेपाली मजदूर हैं। नेपाली मजदूर संघ के अध्यक्ष चंचल राम ने कहा कि इन नेपाली मजदूरों का यहां कोई बैंक खाता नहीं है। इसलिए अब उनके पास जो पुरानी करेंसी है उसे वह कैसे बदलवाएं यह सबसे बड़ी समस्या बन गई है। इस स्थिति का कुछ लोग फायदा भी उठा रहे हैं और मजदूरों से कमिशन लेकर उनकी करेंसी बदल रहे हैं। खून-पसीना बहाकर जो मजदूर ने कमाए उसमें से भी अब नोटबंदी के चलते काफी पैसे कमिशन में चले जा रहे हैं।

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