नरही गोलीकांड में सपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री पर गंभीर आरोप
लखनऊ | उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नरही थाना गोलीकांड में घायल हुए फेफना विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक उपेंद्र तिवारी ने उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री अंबिका चौधरी पर जान से मारने की साजिश रचने का आरोप लगाया है। तिवारी ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मांग की है कि नरही थाने में हुए गोलीकांड की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराई जाए।
बलिया में पशु पालक को पशु तस्कर साबित करने की कोशिश
सपा के नेताओं ने हालांकि तिवारी पर आरोप लगाया है कि वह खुद एक पशु तस्कर हैं, इसीलिए उन्हें बचाने के लिए उन्होंने थाने पर प्रदर्शन एवं हंगामा किया, जिसकी वजह से पुलिस को लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा।
तिवारी ने कहा, “पूरा मामला यही है कि पुलिस एक पशु पालक को पशु तस्कर साबित करने पर तुली हुई है। शांतिपूर्ण तरीके से धरना दे रहे भाजपा कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठियां भांजी और गोलियां चलाईं।
पुलिस एक पशु पालक के घर से जबरन गाय लाती है और बाद में उस पर पशु तस्कर होने का आरोप लगा देती है। उस पशु पालक ने गाय पशु मेले से खरीदी थी। उनके पास उसकी रसीद भी है। फिर भी पुलिस उसे पशु तस्कर बताकर परेशान कर रही थी। जिसके खिलाफ आवाज उठाई गई थी।”
भाजपा विधायक से यह पूछे जाने पर कि उनपर पशु तस्करों से मिले होने का आरोप लगााया जा रहा है तो उन्होंने कहा, “आरोप लगाना आसान काम है। सूबे के पूर्व कैबिनेट मंत्री अंबिका चौधरी के इशारे पर सब हो रहा है। उन्होंने मुझे जान से मारने की साजिश रची थी। यह बात मैं पहले भी विधानसभा में कई बार उठा चुका हूं।”
उन्होंने कहा, “जहां तक बात नरही थाने में हुई गोलीकांड की है, तो मैं दावे के साथ कहता हूं कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस पूरे मामले की जांच या तो हाईकोर्ट के किसी वर्तमान न्यायाधीश से करवा लें या फिर इसकी जांच सीबीआई को सौंप दें। यदि मैं दोषी पाया गया, तो राजनीतिक जीवन से संन्यास ले लूंगा।”
उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि इस गोलीकांड में मारे गए भाजपा कार्यकर्ता विनोद राय की पत्नी को सरकारी नौकरी और उनके परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा राज्य सरकार दे।
गौरतलब है कि बलिया जिले के नरही थाना में 12 अगस्त को हुए प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज व गोलीबारी में कथित तौर पर पुलिस की गोली से भाजपा कार्यकर्ता विनोद राय की मौत हो गई थी।
इस गोलीकांड के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी सख्त रुख अपनाते हुए वहां के जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को निलंबित कर दिया था।