ताजमहल और लाल किला सरीखी प्राचीन धरोहरों का दीदार करना होगा महंगा
एजेंसी/ मोहब्बत के प्रतीक ताजमहल के पास शादी और पारिवारिक आयोजन का सपना पूरा हो सकता है। बशर्ते कि ऐसा चाहने वालों को इसके लिए मोटी रकम चुकानी पड़ेगी। संसदीय समिति ने सरकार से कहा है कि उसे ताजमहल, लालकिला और विक्टोरिया मेमोरियल हॉल सरीखे प्राचीन स्मारकों के प्रांगणों में किराए पर सामाजिक और परिवारिक आयोजनों की अनुमति देनी चाहिए।
हांलाकि संसदीय समिति ने ताज के दीवानों को थोड़ा झटका भी दिया है। ताज का दीदार अब महंगा हो सकता है। समिति के सुझाव परवान चढ़े तो ताजमहल, लालकिला और विक्टोरिया मेमोरियल का महज दीदार करना ही महंगा नहीं होगा बल्कि फिल्मों और डाक्यूमेंटी में इन्हें फिल्माने का शुल्क भी महंगा होगा।
संसदीय समिति द्वारा ताजमहल, लालकिला और कलकत्ता स्थितविक्टोरिया मेमोरियल सरीखे प्राचीन स्मारकों के टिकट शुल्क में बढ़ोतरी का सुझाव के बाद सरकार सक्रिय हो गई है। सूत्र बताते हैं कि प्रचीन स्मारकों के टिकट शुल्क में बढ़ोतरी की तैयारी में सरकार पहले से ही थी। लेकिन अब संसदीय समिति के सुझाव के बाद उसे सुनहरा मौका मिल गया है।
दरअसल राजस्व बढ़ाने के लिए संसदीय समिति ने सरकार को कई नायाब तरीके सुझाए हैं। जिनमें प्राचीन स्मारकों के टिकट शुल्क में बढ़ोतरी के साथ उसके प्रांगण को किराए पर देने और इनके अंदर होने वाले फिल्मों की शूटिंग की दर बढ़ाना है। अन्य सुझावों में समिति ने एक व्यवस्थित ढ़ांचा बनाने की नसीहत के साथ समिति ने सरकार से कहा है कि वह ज्यादा से ज्यादा स्मारकों को टिकट की श्रेणी में शामिल करे।
दुर्लभ एवं प्राचीन स्मारकों में फिल्म एवं डाक्यूमेंट्री शूटिंग का शुल्क बढ़ाने की पैरवी करते हुए संसदीय समिति ने कहा है कि इन प्राचीन जगहों पर शूटिंग की दर वर्ष 1991 के बाद से पुनर्निर्धारित नहीं हुई है। इसलिए दर बढ़नी चाहिए।
राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार को एक अन्य नायाब सुझाव देते हुए समिति ने कहा है कि लालकिला, ताजमहल और विक्टोरिया मेमोरियल हॉल सरीखे प्रसिद्ध स्थलों के प्रांगणों को सामाजिक और परिवारिक आयोजनों के लिए उंची कीमत (प्रीमियम दर) के साथ किराए पर देना चाहिए। हांलाकि समिति ने इसके लिए सरकार को उचित दिशानिर्देश बनाने को कहा है।
केवी थामस की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तहत आने वाले देश के उन तमाम प्राचीन स्मारकों और दुर्लभ वस्तुओं के सुरक्षा और संरक्षण की स्थितियों का अध्ययन करने के बाद सरकार को ये अहम सुझाव दिए हैं। समिति ने माना है कि धन के अभाव के कारण हमारे प्राचीन स्मारकों का संरक्षण और सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो पा रही है।