कानून को ताख पर रख राबर्ट वाड्रा को हरियाणा में दी गईं थीं जमीनें !
चंडीगढ़। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा को हरियाणा में तत्कालीन कांग्रेस की प्रदेश सरकार ने कानूनों का उलंघन कर व्यवसायिक और निजी कार्यों के लिए जमीनों का आवंटन किया था। हरियाणा में जमीन सौदों की जांच के लिए बने जस्टिस ढींगरा आयोग की रिपोर्ट में इस तथ्य की ओर इशारा किया है। जस्टिस ढींगरा ने अपनी 182 पेज की जांच रिपोर्ट बुधवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को सौंप दी।
जस्टिस ढींगरा आयोग ने सौंपी जांच रिपोर्ट
अनियमितताओं के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगर अनियमितताएं नहीं होती तो वह 182 पेज की रिपोर्ट नहीं सौंपते। मीडिया को संबोधित करते हुए जस्टिस ढींगरा ने कहा कि रिपोर्ट दो हिस्सों में है। एक भाग में जांच-परिणाम और दूसरे हिस्से में सबूत है। रिपोर्ट में बहुत कुछ है। उन्होंने रिपोर्ट के कंटेट के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया।
Justice Dhingra inquiry commission submitted report on Vadra land deal case to Haryana Govt (earlier visuals) pic.twitter.com/WLlslVz1bE
— ANI (@ANI) August 31, 2016
जस्टिस ढींगरा ने कहा कि उन्होंने जांच रिपोर्ट हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर को सौंप दी है, अब आगे कार्रवाई करना सरकार का काम है। उन्होंने कहा कि मैंने अनियमितताएं किस तरह की गई और इसके पीछे कौन लोग थे, इसको सामने लाने की कोशिश की है। अगर जमीन आवंटन में अनियमितताएं नहीं पाई गईं होती तो मैं 182 पेज की रिपोर्ट नहीं सौंपता। उन्होंने कहा, मैंने रिपोर्ट में हर उस आदमी का नाम दर्ज किया है जो अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार हैं। चाहे वो सरकारी हो या प्राइवेट। मैं चाहता तो अशोक खेमका को बुला लेता, मैंने ऐसा नहीं किया, मुझे नहीं लगा कि उन्हें बुलाना जरुरी था।
राबर्ट वाड्रा पर आरोप है कि उनकी कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी ने 7.5 करोड़ में जमीन खरीद कर लैंड यूज बदलने के बाद 55 करोड़ में बेची थी। ऐसे ही आरोप वाड्रा के अलावा और भी कई कंपनियों पर लगे हैं। वाड्रा पर अपने लाइसेंस को कानून का उल्लंघन करके डीएलएफ को ट्रांसफर करने का आरोप है, जिससे सरकार को राजस्व को भारी नुकसान हुआ।
हरियाणा सरकार ने वाड्रा की कंपनी समेत कुछ संस्थाओं को गुड़गांव के सेक्टर 83 में व्यावसायिक कॉलोनियां विकसित करने के लिए लाइसेंस देने के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस एन धींगरा के नेतृत्व में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। आयोग को छह महीने के अंदर जांच रिपोर्ट सौंपनी थी।