

कलकत्ता हाईकोर्ट के जज कौशिक चंदा ने ममता बनर्जी पर जुर्माना लगाते हुए कहा कि, जज की छवि बिगाड़ने की सोची-समझी चाल है। न्यायमूर्ति कौशिक चंदा ने नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र में सुवेंदु अधिकारी की जीत को चुनौती देने वाली ममता बनर्जी की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। ममता बनर्जी ने न्यायमूर्ति कौशिक चंदा को हटाने की मांग की थी क्योंकि वह HC की न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने से पहले भाजपा से जुड़े थे। जस्टिस कौशिक चंदा ने ये भी कहा कि केस की सुनवाई से पहले ही मेरे फैसले को प्रभावित करने की पूरी कोशिश की गई थी।
बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कलकत्ता हाईकोर्ट को खत लिखकर कहा था कि उनकी याचिका की सुनवाई किसी और जज को दी जाए। ममता बनर्जी ने नंदीग्राम सीट से भाजपा के सुभेंदू अधिकारी के जीतने के खिलाफ याचिका दाखिल की है। अभी यह केस जस्टिस कौशिक चंदा को दिया गया है। मुख्यमंत्री की ओर से उनके वकील द्वारा मुख्य न्यायाधीश को लिखे खत में ममता बनर्जी की इस अपील के पीछे दो वजह बताई थीं। पहली वजह यह है कि कि जस्टिस चंदा पहले भाजपा से जुड़े थे, ममता बनर्जी ने कहा कि ‘पक्षपात की उचित आशंका है… प्रतिवादी के पक्ष में…” इस याचिका में प्रतिवादी अधिकारी हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि अप्रैल महीने में उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति चंदा की पुष्टि पर आपत्ति भी जताई थी। उन्होंने कहा था कि न केवल न्याय होना चाहिए, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए। साथ ही उन्होंने, “न्यायपालिका में जनता का विश्वास बनाए रखने” की आवश्यकता पर जोर दिया था।