चीनी की बढ़ी मिठास, सरकार ने कम की कीमतें
एजेंसी/ चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी रोकने के लिए सरकार की तरफ से किए गए उपाय कारगर नजर आ रहे हैं। बृहस्पतिवार को चीनी की थोक कीमत में 2 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट हो गई। गत बुधवार को कैबिनेट कमेटी ने चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी रोकने के लिए राज्यों द्वारा भंडारण सीमा लागू करने की अनुमति दी थी।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के मुताबिक इस साल 15 अप्रैल तक देश भर में चीनी का उत्पादन 243.44 लाख टन रहा जो कि पिछले साल के मुकाबले 21.24 लाख टन कम है। दूसरी तरफ से सरकार की तरफ यह भी कहा गया है कि देश में चीनी की कोई कमी नहीं है और घरेलू
खपत के लिए पर्याप्त मात्रा में चीनी है।
देश में इस साल 253 लाख टन चीनी के उत्पादन की संभावना है जबकि घरेलू खपत 255 लाख टन की है। पिछले साल की 90 लाख टन चीनी का स्टॉक पहले से देश में मौजूद है। चीनी कारोबारियों के मुताबिक बृहस्पतिवार को एम ग्रेड चीनी की थोक कीमत दिल्ली की मंडी में 3500 रुपये प्रति क्विंटल हो गई जबकि गत सोमवार को एक ग्रेड चीनी के थोक दाम 3700 रुपये चल रहे थे।
चीनी के थोक कारोबारी विक्की गुप्ता ने बताया कि सरकार की सख्ती से बाजार से चीनी के खरीदार गायब है। उन्होंने बताया कि अभी चीनी के दाम जरूर गिर गए हैं, लेकिन चीनी मिल की तरफ से अगर आने वाले समय में बाजार में चीनी नहीं भेजी जाती है तो सरकार की सख्ती के बावजूद चीनी के दाम में बढ़ोतरी होगी। गुप्ता ने कहा कि सरकार इस प्रकार के फैसले लेकर इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा दे रही है और उन चीजों के भंडारण पर लिमिट लगा रही है कि जिनकी कमी नहीं है।
चीनी के थोक कारोबारियों के मुताबिक चीनी मिल की तरफ से बाजार में कम मात्रा में सरकार ने देखा है कि चीनी मिलों में भंडारण की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद थोक और खुदरा मूल्यों में बढ़ोतरी हुई है।
सरकार ने चीनी की उपलब्धता और देशभर में चीनी की कीमत में बढ़ोतरी के विभिन्न कारकों का जायजा लिया। चीनी महंगी होने के रुख को रोकने और थोक तथा खुदरा व्यापारियों को चीनी का भंडारण करने से रोकने के लिए सरकार के लिए चीनी को भंडारण सीमा के दायरे में लाना आवश्यक हो गया था। इस फैसले से चीनी की भंडारण सीमा लागू करने और इसकी आपूर्ति, वितरण, भंडारण नियमित करने में राज्य और केंद्र की एजेंसियां अधिक सशक्त होंगी।