
भोपाल। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की कार्यसमिति के सदस्य संजय सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा 500-1000 के नोट के उपयोग पर लगाई गई बंदिश को चुनाव में कालेधन के उपयोग में रोक लगाने के लिए सहायक फैसला करार दिया है। उन्होंने कहा, “मोदी सरकार के इस फैसले से इसी माह होने वाले लोकसभा व विधानसभा के उप-चुनावों में कालेधन के उपयोग को रोकने का लिटमस टेस्ट भी हो जाएगा।”
केंद्र सरकार के फैसले के बाद सिंह ने बुधवार को दूरभाष पर कहा, “लोकसभा, विधानसभा चुनाव से लेकर नगरीय निकाय व पंचायत तक के चुनाव में बड़े पैमाने पर राशि खर्च होती है। इसमें काला धन भी होता है। चुनाव में बढ़ते खर्च को रोकने के चुनाव आयोग द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। उसके बावजूद कई राजनीतिक दलों द्वारा कालाधन कहलाए जाने वाली तय सीमा से ज्यादा की राशि खर्च की जाती है।”
सिंह ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव के खर्च के लिए 75 लाख और विधानसभा के लिए 25 लाख की राशि तय की है, मगर कई स्थानों पर तय राशि से ज्यादा खर्च की जाती है। इतना ही नहीं मतदाताओं को लुभाने के लिए नगद राशि व शराब आदि बांटने के मामले भी सामने आते रहते हैं। इस लिहाज से 500-1000 के नोटों के चलन पर लगाई गई रोक से आगामी उप-चुनाव में राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को मतदाताओं को काले धन से लुभाना आसान नहीं होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि तब तक नए बड़े नोटों की उपलब्धता पर्याप्त नहीं होगी।
उन्होंने आगे कहा कि इस माह होने वाले उप-चुनाव से केंद्र सरकार की ओर से बड़े नोटों के चलन को बाहर किए जाने के फैसले का लिटमस टेस्ट भी हो जाएगा, क्योंकि उम्मीदवारों के लिए नगद राशि का वितरण और दूसरे आर्थिक प्रलोभन देना भी आसान नहीं होगा।