इंसानों से मिलने छत्तीसगढ़ में आए एलियन

एलियन इंसानों के लिए गूढ़नई दिल्ली। वैज्ञानिकों की लाख कोशिशों के बावजूद आज भी एलियन इंसानों के लिए गूढ़ रहस्य बना हुआ है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ के सिरपुर में हजारों साल पहले एलियन आते थे। पुरातात्विक खुदाई में कुछ ऐसे ही प्रमाण मिले हैं, जिनसे यह पुख्ता होता है कि यहाँ हजारों साल पहले एलियन आ चुके हैं।

एलियन इंसानों के लिए गूढ़ रहस्य

वरिष्ठ पुरातत्वविद डॉ. अरुण शर्मा के मुताबिक एलियन को सिर्फ कोरी कल्पना मानना गलत होगा, क्योंकि समय-समय पर इस बात के प्रमाण मिलते रहे हैं कि दूसरे ग्रह के प्राणी वास्तंव में अस्तित्व में होते हैं।

उन्होंने बताया कि सिरपुर उत्खनन में बाजार क्षेत्र से करीब 2600 वर्ष पुरानी पकाई हुई मिट्टी के पुतले मिले हैं, जिन्हें सामान्य खिलौने नहीं कहा जा सकता।

इनमें कुछ ऐसे भी हैं, जो पाश्चात्य देशों में मिले एलियन के नाम से विख्यात मूर्तियों के ही समान हैं। कुछ में तो एलियन के चेहरों और मास्क में इतनी समानता है कि इन्हें आज से 2600 वर्ष पहले सिरपुर के कलाकारों ने बनाया, जबकि उनका विदेशों से कोई संबंध ही नहीं था।

डॉ. शर्मा के मुताबिक जब कुछ पाश्चात्य वैज्ञानिक सिरपुर आए, तब उन्हें इन मूर्तियों को दिखाया गया तो वे भी उनकी कल्पना एवं सिरपुर के कारीगर की कल्पना में समानता से आश्चर्यचकित हो गए।

सिरपुर के पुरातात्विक उत्खनन का कार्य डॉ. अरुण शर्मा के नेतृत्व में ही 2008-09 के आसपास की गई थी, जिनमें प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के प्रमाण मिले हैं।

सिरपुर के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के प्रयागराज राजिम के उत्खनन का जिम्मा भी डॉ. अरुण शर्मा ने संभाला था। डॉ. शर्मा ने दूसरे ग्रहों के प्राणी के संबंध में आश्चर्य व्यैक्त0 करते हुए कहा कि राजिम के उत्खनन में भी बिल्कुकल ऐसी ही मूर्तियां मिली हैं।

उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ में पुरावैभव का भंडार है और इस बात की जरूरत है कि इस विषय पर और अधिक खोज की जाए और खासकर छत्तीसगढ़ के दो-तीन ऐतिहासिक पुरास्थलों में खुदाई की जाए, ताकि छत्तीसगढ़ का पुरावैभव प्रकाश में आ सके।

डॉ. शर्मा का कहना है कि जब तक बनाने वाले इन एलियन को नहीं देखा होगा, तब तक ऐसी सौ प्रतिशत समानता नहीं आ सकती। इससे साफ जाहिर है कि सिरपुर जैसे संपन्न एवं विकसित वाणिज्यिक इलाके में दूसरे ग्रहों के ये प्राणी आए होंगे।

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