उत्तर प्रदेश के 11 सदस्यों का कार्यकाल इस जुलाई के अंत तक समाप्त
लखनऊ :
राज्यसभा में उत्तर प्रदेश के 11 सदस्यों का कार्यकाल इस जुलाई के अंत तक समाप्त हो जाएगा। इनमें से सबसे ज्यादा छह सदस्य बसपा के हैं, लेकिन नए सदस्यों के मनोनयन में पार्टी को झटका लग सकता है जिसकी ताकत घटना तय है।
नए सदस्यों में सबसे ज्यादा फायदा सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी को मिलेगा जो विधानसभा में विशाल संख्याबल के बूते अपने ज्यादा सदस्यों को राज्यसभा में भेज सकती है। वहीं भाजपा और कांग्रेस जैसे दलों को कोई खास फायदा नहीं होने वाला है। खास बात ये है कि सपा से दूरियों के बाद राज्यसभा की सदस्यता से बाहर रहने वाले पूर्व महासचिव अमर सिंह की वापसी हो सकती है।
हाल फिलहाल राज्यसभा में सपा के 15, बसपा के 10 और भाजपा-कांग्रेस के तीन तीन सदस्य हैं। इनमें से जुलाई के अंत तक राज्यसभा से 11 सदस्यों की विदाई हो सकती है।
इनमें भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी, कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा, बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा और अंबेठ राजन के अलावा सपा के अरविंद सिंह और वयोवृद्ध नेता मोहन सिंह की बेटी कनक लता प्रमुख हैं। पुराने सदस्यों की विदाई के साथ ही राज्यसभा में उत्तर प्रदेश से नुमाइंदगी का गणित भी बहुत हद तक बदल जाएगा।
सपा की ताकत जहां दोगुनी होगी वहीं बसपा की घटकर आधी रह जाएगी। उत्तर प्रदेश विधानसभा में 227 विधायकों के साथ समाजवादी पार्टी अधिकतम छह सदस्यों को राज्यसभा भेज सकती है। जबकि 80 सीटों वाली बसपा के केवल दो सदस्य ही उच्च सदन में जा पाएंगे।
इसके अलावा 42 सदस्यों वाली भाजपा एक सदस्य को राज्यसभा भेज सकती है। सबसे ज्यादा मुश्किलें कांग्रेस के लिए होंगी जो संख्याबल में काफी पिछड़ रही है। 29 विधायकों वाली कांग्रेस के पास राजनीतिक रूप से इतना संख्याबल भी नहीं है कि वह अपने एक नुंमाइंदे को भी राज्यसभा में भेज पाए।