आज का सुविचार: इन गुणों के बिना नहीं मिलती है सफलता, समय रहते कर लें अर्जित
आचार्य चाणक्य बहुत गुणवान और विद्वान व्यक्तिव के थे। चाणक्य शिक्षक के साथ ही एक कुशल अर्थशास्त्री भी थे। इसके लिए चाणक्य ने पूरी निष्ठा से गहन अध्ययन किया था। चाणक्य ने अपने कौशल और बुद्धि के बल से जीवन में सफलता प्राप्त करने की कई नीतियां बनाई थीं। आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में कुछ ऐसे गुणों का जिक्र किया है जिसके चलते व्यक्ति सफल बन सकता है।
आइए जानते हैं इन गुणों के बारे में-
- समय पर काम करने की आदत जीवन में सफल होना है, तो सबसे पहले किसी भी कार्य को समय पर पूरा करने की आदत डालनी चाहिए।
- व्यक्ति अपनी प्रतिभा और क्षमता के अनुसार अपने लक्ष्यों का निर्धारण करता है। जब वह इन लक्ष्यों को प्राप्त कर लेता है तो वह सफल कहलाता है। लेकिन सफल होना इतना आसान नहीं है। सफल होने के लिए उसी प्रकार से श्रम करना पड़ता है जिस प्रकार से एक योगी साधना को पूर्ण करता है। साधना और परिश्रम में विशेष अंतर नहीं है। शब्दों के अंतर से महत्व नहीं बदलता है। इसलिए सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को सबसे पहले अपने भीतर कुछ गुणों को विकसित करना चाहिए। जो लोग आज के काम को कल पर टालते हैं सफलता उनसे कोसों दूर रहती है. सफल व्यक्ति के जीवन में समय का बहुत महत्व होता है।
- कुशल रणनीतिकार बनें जब तक व्यक्ति कुशल रणनीतिकार नहीं बनता है सफलता भी नहीं मिलती है। किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए एक रणनीति का होना बहुत ही जरूरी है, रणनीति के साथ व्यक्ति को अपने लक्ष्य के प्रति आगे बढ़ना चाहिए।
- योजना का न करें खुलासा जब तक कार्य पूर्ण न हो तब तक किसी भी योजना का खुलासा नहीं करना चाहिए। जो काम पूरा होने से पहले ही शोर मचाने लगाते हैं या लोगों को बताने लगते हैं वे कभी सफल नहीं होते हैं। क्योंकि ऐसा करने की आदत शत्रुओं को अवसर प्रदान करती है और कार्य में बाधा आने की संभावना बढ़ जाती है।
- कुशल लोगों का साथ लें सफलता अकेले नहीं मिलती है। बड़ी सफलता प्राप्त करने के लिए लोगों का भी सहयोग चाहिए होता है। इसलिए किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए अपने साथ कुशल और विश्वासपात्र लोगों का रखना चाहिए। सफलता की इमारत लोगों के सहयोग से तैयार होती है इसलिए जीवन में अच्छे लोगों का साथ लेते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
- आलोचना और असफलता से न घबराए, कार्य करने वाले की ही आलोचना होगी। जो कुछ नहीं कर रहा है उसकी आलोचना का कोई महत्व नहीं है। कभी कभी कार्य करते हुए ऐसे अनुभव होते हैं लेकिन इनसे घबराकर शांत नहीं बैठना चाहिए। व्यक्ति को निरंत अपने लक्ष्य को पाने के लिए परिश्रम करते रहना चाहिए।