उत्तराखंड की घाटी में मिला ये दुर्लभ जानवर, जानिए क्यों है ये अन्य जानवरों से इतना अलग…  

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की गोरी घाटी में दुर्लभ काला बंदर दिखा है। यह प्रजाति लुप्त होने की कगार पर है। गोरी घाटी में इन बंदरों की संख्या मात्र 25 से 30 तक सिमट गई है। इनके झुंड में बच्चों की संख्या भी कम है। अनुसंधान वृत्त ने बंदरों को बचाने के लिए प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव को पत्र भेजकर वैज्ञानिक आनुवांशिक अनुसंधान की जरूरत बताई है।

जानवर

27 अप्रैल को शोध कार्यों के लिए वन अनुसंधान हल्द्वानी वृत्त की टीम पिथौरागढ़ के धारचूला के बंगापानी क्षेत्र में थी। इसी दौरान गोरी नदी के किनारे चिफलतरा, सिराड़ और पय्या के पास गुइयां नामक स्थान पर टीम ने सामान्य से अलग कुछ बंदरों को देखा।

राज्य में मिलने वाले बंदरों से थोड़ा अलग दिखने के कारण वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी और टीम ने आसपास के इलाके में बंदरों के बारे में जानकारी जुटाई। पता चला कि स्थानीय लोग इनको काला बंदर कहते हैं।

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इनकी संख्या करीब 25 से 30 के बीच है। इनमें बच्चों की संख्या कम है। कुछ शोधकर्ताओं व वनाधिकारियों ने इन बंदरों को 1958, 2006 और 2011 में भी देखा है। लेकिन इनके बारे में कोई शोध और वैज्ञानिक तथ्य नहीं है। इन बंदरों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कभी कोई योजना नहीं बनाई गई।

ऐसे होते हैं काला बंदर

काला बंदर सामान्य बंदर (रीसस मकाक) देखने में थोड़े अलग हैं। आकार और संरचना में यह असम रीसस से थोड़ा मिलता है। इसकी जबड़े की बनावट असम रीसस से थोड़ी अलग है। काला बंदर मध्यम आकार, भूरे सुनहरे रंग, ऊपरी और निचला भाग चॉकलेटी रंग का है। पूरे शरीर पर सफेद फर है।

इनका जबड़ा हल्का बाहर की ओर निकला है। नर के चेहरे का रंग गहरा और आंखों के चारों ओर हल्का है। मादा की आंखों के चारों ओर लाल रंग का घेरा बना है। मुंह और नाक के चारों ओर गुलाबी रंग की त्वचा होती है।

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इनकी पीठ पर छोटा सा कूबड़ निकला है। कान तिकोने व बाल रहित हैं। इनकी पूंछ की लंबाई शारीर के एक तीन चौथाई है। इनका मुख्य भोजन च्यूरा, गरुड़, केन व पियूली के पत्ते हैं। गोरी घाटी में ये बंदर 700 से 1500 मीटर की ऊंचाई पर रहते हैं। काला बंदर सामान्य बंदरों से अलग सीधे, सरल और गंभीर स्वभाव के होते हैं।

गोरी घाटी में काला बंदरों की सीमित संख्या देखी गई है। सामान्य बंदरों से यह बंदर अलग दिख रहे हैं। यह बंदर लुप्त प्राय हैं। बंदरों को बचाने के लिए वैज्ञानिक आनुवांशिक अनुसंधान के लिए मुख्यालय को पत्र भेजा गया है।

 

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