प्रकृति की सुंदरता और आस्था का अनूठा संगम है ‘शमी विध्नेश्वर’, जहां हर रोज बढ़ती प्रतिमा

आदासा का गणेश मंदिरकिसी शहर में घूमने जा रहे हैं तो वहां के मशहूर पर्यटन स्थलों की जानकारी रखना बेहद जरूरी है. नागपुर के कलमेश्वर से 15 किमी की दूरी पर पहाड़ों के बीच एक छोटा-सा गांव आदासा है. यहां अनेक प्राचीन मंदिर हैं. लेकिन आदासा का गणेश मंदिर की महिमा से लोग इसकी ओर खिंचे चले आते हैं.

इस मंदिर की लोकप्रियता दिन-पर-दिन बढ़ती जा रही है. हरियाली के बीच पहाड़ों पर बसे गणपति बप्पा का मंदिर बहुत शानदार है. प्रकृति की सुंदरता सफर को खूबसूरत बना देती है.

इस मंदिर में गणेश भगवान की विशालकाय प्रतिमा है. गणपति अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूरा करते हैं. इस मंदिर में गणपति स्वयंभू हैं, जिन्हें शमी विध्नेश्वर भी कहते हैं. इस मंदिर में गणपति शमी के पेड़ से निकले हैं.

गणपति की प्रतिमा पहले बहुत छोटी थी. अब करीब 11 फीट ऊंची और 7 फीट चौड़ी है.

लोगों का मानना हैं कि गणपति चावल के आकार के समान रोज बढ़ते हैं. पौष के महीने में तीर्थ यात्रियों को आकर्षित करता है.

धार्मिक होने के साथ ही यहां लोग परिवार के साथ पिकनिक मनाने भी आते हैं. मंदिर परिसर में बच्चों के लिए झूले लगे हैं.

आदासा का गणेश मंदिर के पास शिव का मंदिर

मंदिर परिसर के कई दुकान है, जहां बप्पा को चढ़ाने के लिए एक थाल में नारियल, फूल, माला, अबीर, सिंदूर और दूर्वा मिलता है. मंदिर में नारियल चढ़ाने के बाद मंदिर के बाहर तोड़ा जाता है.

आदासा के समीप ही एक पहाड़ी में तीन लिंगों वाला भगवान शिव को समर्पित मंदिर बना हुआ है. माना जाता है कि इस मंदिर के लिंग अपने आप भूमि से निकले थे.

वामन पुराण के अनुसार, जब वामन रूप में भगवान विष्णु राजा बलि के पास पहुंचे. उससे पहले उन्होंने आदासा गांव के इसी स्थान पर भगवान गणेश की आराधना की थी. तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने शमी के वृक्ष से प्रकट होकर भगवान वामन को दर्शन दिया. इस कारण गणपति को शमी गणेश के नाम से भी पुकारा जाने लगा.

 

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