अब देश के हर व्यक्ति को मिलेगा टीबी के इलाज का समान अधिकार, नहीं होगा कोई भेदभाव

नई दिल्ली। देश में टीबी के मरीज बढ़ते ही जा रहे हैं. लेकिन उनके साथ हमेशा से ही लिंग को लेकर भेदभाव होता रहा है. लेकिन अब सरकार ने पोलियों रोग की ही तरह टीबी के मरीजों के लिए भी लिंगभेद योजना तैयार की है. पीएम मोदी से टीबी मुक्त भारत का सपना देखा है जिसे साकार करने में वह लगातार काम कर रहे हैं.

टीबी

देश में हर साल 10 लाख से भी ज्यादा महिलाएं और बच्चियां टीबी की चपेट में आ रही हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर मामले अस्पतालों तक नहीं पहुंच रहे हैं। अभी तीन दिन पहले ही 2019 में सरकार को पहली बार 23 लाख से भी ज्यादा टीबी मरीजों की पहचान करने में सफलता मिली है। सेंट्रल टीबी डिवीजन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत दुनिया में पहला ऐसा देश है जो टीबी मुक्ति के लिए लिंगभेद सहित कई सामाजिक टूल्स पर काम कर रहा है। भीड़भाड़ वाले इलाके और शराब का सेवन करने वाली महिलाओं और ट्रांसजेंडरों में एचआईवी टीबी संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले मिल रहे हैं।

देश में पहली बार लिंग भेदभाव को लेकर हाल ही में दिल्ली एम्स द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार स्वास्थ्य सेवाओं के लिए महिलाएं लैंगिक भेदभाव का सामना कर रही हैं। इस अध्ययन में करीब 23.8 लाख मरीजों को शामिल किया था जिसमें 37 फीसदी महिलाएं थीं। इसके अनुसार बिहार, यूपी, हरियाणा, दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों से दिल्ली एम्स आने वाले मरीजों में पुरुषों की संख्या सबसे ज्यादा है।

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स्थान और भ्रांतियों के वजह से शादी के बाद इलाज न कराना, शादी के बाद

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