
गोरखपुर। सीएम आदित्यनाथ योगी गोरखपुर दौरे के दूसरे दिन भगवान श्री राम की महिमा का बखान करते हुए नज़र आए। उन्होंने यहाँ अपनी बातों में हिन्दुओं के पवित्र ग्रन्थ ‘रामचरित मानस’ के रचयिता तुलसीदास का भी जिक्र किया। तुलसीदास जी ने कभी भी अपने तत्कालीन बादशाह अकबर को अपना राजा नहीं माना था। उनके अनुसार भारत के एक मात्र राजा श्री राम ही थे, न कि दूसरा कोई। सीएम योगी ने श्री राम के जीवन के बारे में यहाँ विस्तार से चर्चा की। बता दें योगी गोरखपुर में बाबा गंभीरनाथ शताब्दी की पुण्यतिथि समारोह में बोल रहे थे। दिए गए इन कथनों के आधार पर माना जा रहा है कि राम मंदिर निर्माण में सीएम योगी ने पहला पत्थर जड़ दिया है।
सीएम योगी ने जड़ दिया पहला पत्थर
उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने इस बावत एक नारा भी दिया था राजा रामचन्द्र की जय। इतिहासकारों के मुताबिक मुगल बादशाह अकबर और तुलसीदास समकालीन थे।
सीएम योगी आदित्य नाथ ने कहा कि, इतिहासा में ये धारणा है कि अकबर उदारवादी राजा है, लेकिन जब अकबर को पता चला कि उनके शासन काल में एक ऐसा संत है जो राम की महिमा गाता है और लोगों के बीच भक्ति का संचार कर रहा है तो अकबर ने उस महापुरुष को अपने नवरत्नों में जगह देकर उसके भक्ति की धारा को प्रभावित करने की सोची।
इसके लिए उन्होंने अपने एक दूत को तुलसीदास के पास भेजा और कहा आपको इस मुल्क के बादशाह बुला रहे हैं।
इस पर गोस्वामी तुलसीदास ने पूछा ये बादशाह कौन होता है? तो अकबर के दूत ने कहा कि इस देश का राजा है। इस पर तुलसीदास ने कहा कि मेरा राजा सिर्फ एक है और वो हैं भगवान राम।
सीएम योगी आदित्य नाथ ने कहा कि इसके बाद तुलसीदास ने एक नारा दिया था और नारा आजतक ‘राजा रामचन्द्र की जय’ से प्रसिद्ध है।
सीएम ने कहा कि कभी विश्व विजेता सिकंदर ने भी खुद का भारत का बादशाह साबित करने की कोशिश की थी, लेकिन यहां के संतों ने उसे भी नकार दिया था।
सीएम ने इस कार्यक्रम में बाबा गंभीरनाथ की भी चर्चा की और कहा कि निस्वार्थ सेवा के मामले में उन जैसे संत बहुत कम ही मिलते हैं।
उन्होंने कहा कि भारतवर्ष में संतों की एक गौरवशाली परंपरा रही है और देशवासियों ने हमेशा से इस परंपरा का सम्मान किया है।
दिए गए इन कथनों से साफ़ तौर पर सीएम योगी में हिन्दू धर्म के प्रति अटूट श्रद्धा और विशवास दिखाई देता है।
तुलसीदास के वक्तव्यों का बखान यह भी दर्शाता है कि उन्होंने भी कभी मुग़ल शासन को कभी नहीं स्वीकारा।