शकुनि ही नहीं, पांडवों का यह मामा भी था दुर्योधन के साथ
एजेंसी/ महाभारत का युद्ध कई कारणों का सामूहिक परिणाम था। इसके लिए कोई एक व्यक्ति जिम्मेदार नहीं था। इस महायुद्ध के उत्तरदायी लोगों में शकुनि का नाम भी शामिल है। वह अत्यंत धूर्त था। उसे जुए में महारत हासिल थी। उसके द्वारा बोए गए नफरत के बीज आखिरकार महाभारत युद्ध के रूप में सामने आए।
उसने कौरव सेवा की ओर से युद्ध किया था तथा युद्ध में ही उसकी मृत्यु हुई थी। इस युद्ध में पांडवों के भी एक मामा ने भाग लिया था। उसकी मृत्यु भी युद्धभूमि में ही हुई थी। उसने पांडवों के बजाय कौरवों की ओर से युद्ध किया था।
असल में उसके साथ दुर्योधन ने छल किया था। उसी की वजह से उसे कौरव सेना के पक्ष में युद्ध करना पड़ा। उसका नाम शल्य था। वह माद्री का भाई था, जो नकुल-सहदेव की माता थीं। इस रिश्ते से वह पांडवों का मामा लगता था।
ऐसे किया दुर्योधन ने छल
जब महाभारत युद्ध तय हो गया, तब शल्य पांडवों के पक्ष में अपनी सेना लेकर चले। दुर्योधन को यह मालूम हुआ तो उसने छल का पांसा फेंका और जगह-जगह उनके ठहरने के लिए उचित प्रबंध करवाया। उससे शल्य बहुत प्रसन्न हुए। वे हर स्थान पर वहां नियुक्त सेवकों से कहते कि युधिष्ठिर से तुम्हारी प्रशंसा करूंगा। वे समझते कि युधिष्ठिर ने उनके ठहरने के लिए यह प्रबंध करवाया है।
आखिरकार जब उन्हें सच्चाई का पता चला तो वे बहुत चिंतित हुए। तब उन्होंने दुर्योधन से कहा कि उसे सेवा के बदले कुछ तो मांगना ही होगा। तब दुर्योधन ने उनसे आशीर्वाद मांगा कि वे सेना सहित उसका साथ दें। शल्य ने यह वचन दिया और उसकी ओर से युद्ध किया। युद्ध में वे मृत्यु को प्राप्त हुए।