
पेसमेकर एक छोटा सा उपकरण होता है। जब दिल सही तरीके से काम नहीं करता है और फेल होने लगता है तो दिल की धड़कन को सामान्य करने के लिए पेसमेकर का सहारा लिया जाता है।
पेसमेकर को रीचार्ज करने के लिए बैटरी को एक निश्चित समय पर बदलना पड़ता है। यह हृदय की मांसपेशियों को संकेत भेजता है, जिससे अप्राकृतिक धड़कनों का निर्माण होता है।
कितनी होनी चाहिए दिल की धड़कन
पेसमेकर उन लोगों के लिए मददगार होता है, जिनकी हृदय गति कम होती है। आमतौर पर इन्सान की हृदय गति 60 से 100 के बीच होती है।
यदि व्यक्ति की हृदय गति कम हो (खासकर 40 प्रति मिनट से भी कम) तो व्यक्ति को चक्कर आ सकते हैं और उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा सकता है। यहां तक कि उसे कुछ हद तक बेहोशी भी हो सकती है। हृदय गति बहुत कम होने पर इन्सान की मौत भी हो सकती है।
कहां लगाया जाता है पेसमेकर
पेसमेकर दाईं या बाईं कॉलर बोन की त्वचा के नीचे और फैट टिशू के बीच लगाया जाता है। इसके संकेत नसों के जरिये हृदय मांसपेशियों तक पहुंचाये जाते हैं, वहीं इसका दूसरा सिरा पेसमेकर से जुड़ा होता है।
पेसमेकर एक खास प्रोग्राम द्वारा सेट होता है और इसे प्रोग्रामर द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
आमतौर पर पेसमेकर 10 से 12 साल तक काम करता है। एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के डॉक्टर वोरा का कहना है कि पेसमेकर के काम करने का समय उस पर पड़ने पर दबाव पर भी निर्भर करता है।
अजय देवगन के साथ दोबारा काम करने की उम्मीद
पेसमेकर लग जाने के बाद कुछ जरूरी सावधानियां
- पेसमेकर लग जाने के बाद सेलफोन का इस्तेमाल हमेशा पेसमेकर के विपरीत वाले कान पर लगाकर करें।
- पेसमेकर लगे मरीजों को एमआरआई नहीं करवाना चाहिये। इससे पेसमेकर का सर्किट खराब हो सकता है।
- पेसमेकर लगाये मरीज आसानी से अल्ट्रा साउण्ड, इकोकारडायोग्राम, एक्स-रे, सीटी स्कैन आदि करवा सकते हैं। इसके लिए उन्हें घबराने की जरूरत नहीं।
- कुछ कैंसर मरीजों को रेडिएशन थेरेपी से गुजरना पड़ता है। यदि पेसमेकर रेडिएशन के दायरे में आता है, तो इससे वह खराब हो सकता है।
- हाई टेंशन वायर से दूर रहें। बिजली की बड़ी-बड़ी तारों से उन्हें दूर ही रहना चाहिये।
- पेसमेकर लगाने वाले मरीजों को मेटल डिटेक्टर से निकलते हुए सुरक्षा अधिकारी को इस बारे में सूचित कर देना चाहिये।