
भारत का सबसे बड़ा बैंक भारतीय रिजर्व बैंक और इंडिया ने अपने जमा किये हुए खजाने से करोड़ो रूपये को मोदी सरकार को देना का अहम फैसला लिया हैं. बतादें की रिजर्व बैंक की ओर से दी गयी मोदी सरकार को रकम सबसे बड़ी रकम अब तक की मानी जा ही हैं.
खबरों के मुताबिक पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अगुआई वाली कमेटी की सिफारिशों को आरबीआई की बोर्ड मीटिंग में स्वीकार कर लिया गया हैं. जहां इस 1.76 लाख करोड़ में से 1.23 लाख करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2018-19 के सरप्लस के रूप में और 52,637 करोड़ रुपये रिजर्व से दिए जाएंगे, जो अतिरिक्त प्रावधान माना जा रहा हैं.
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वहीं रिजर्व बैंक के साल 2017-18 के आंकड़ों के अनुसार, उसके बहीखाते में 36.2 लाख करोड़ रुपये की रकम है. हालांकि रिजर्व बैंक का बहीखाता किसी कंपनी की तरह पूरी तरह मुनाफे का नहीं होता. वह जितना करेंसी नोट छापता है उसका आधा से ज्यादा हिस्सा लायबिलिटी यानी देनदारी के रूप में होता है.
देखा जाये तो खजाने का 26 फीसदी हिस्सा रिजर्व बैंक का सरप्लस रिजर्व होता है. यह सरप्लस असल में विदेशी या भारत सरकार की प्रतिभूतियों और गोल्ड में निवेश के रूप में होता है. वहीं रिजर्व बैंक के पास करीब 566 टन सोना है. कुल खजाने का करीब 77 फीसदी हिस्सा विदेशी एसेट और रिजर्व के रूप में है. इसको लेकर रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय में मतभेद भी रहा है कि उसके पास कितना रिजर्व होना चाहिए.
दरअसल रिजर्व बैंक के पास दो तरह के रिजर्व होते हैं करेंसी ऐंड गोल्ड रीवैल्यूएशन अकाउंटऔर कॉन्टिजेंसी फंड यानी आपात निधि. रिजर्व में सबसे बड़ा हिस्सा CGRA का होता है. साल 2017-18 में इसके तहत कुल 6.9 लाख करोड़ रुपये थे.
लेकिन यह उस गोल्ड और विदेशी करेंसी की वैल्यू है जो भारत की तरफ से रिजर्व बैंक के पास रहता है. बाजार के हिसाब से इस वैल्यू में उतार-चढ़ाव होता रहता है. कॉन्टिजेंसी फंड या आपात निधि रिजर्व बैंक के पास मौजूद ऐसी राशि होती है, मौद्रिक नीति या एक्सचेंज रेट में बदलाव के समय जिसकी जरूरत पड़ सकती है. साल 2017-18 में रिजर्व बैंक के कॉन्टिजेंसी फंड में 2.32 लाख करोड़ रुपये थे.
रिजर्व बैंक का सरप्लस या अधिशेष राशि वह होती है जो वह सरकार को दे सकता है. रिजर्व बैंक को अपनी आय में किसी तरह का इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता. इसलिए अपनी जरूरतें पूरी करने, जरूरी प्रावधान और जरूरी निवेश के बाद जो राशि बचती है वह सरप्लस फंड होती है जिसे उसे सरकार को देना होता है.
वहीं रिजर्व बैंक को आय मुख्यत: सिक्यूरिटीज यानी प्रतिभूतियों में निवेश पर मिलने वाली ब्याज से होता है. रिजर्व बैंक ने साल 2017-18 में 14,200 करोड़ रुपये कॉन्टिजेंसी फंड के लिए तय किए थे. जितना ज्यादा इस फंड के लिए प्रोविजनिंग की जाती है, रिजर्व बैंक का सरप्लस उतना ही कम हो जाता है. वर्ष 2018-19 में रिजर्व बैंक ने 1,23,414 करोड़ रुपये का सरप्लस सरकार को देना तय किया है.