इस शाही राज्य को घूमना न भूलें, यहां के वंश की उत्पत्ति मोर की आंख से हुई थी
आज हम आपको भारतीय राज्य ओडिशा के मयूरभंज के बारे में बताने जा रहे हैं. ब्रिटिश शासन के दौरान यह शाही राज्य हुआ करता था. शुरुआत से ही यह क्षेत्र भंज वंश के नियंत्रण में था. किंवदंती है कि भंज वंश की उत्पत्ति मोर की आंख से हुई थी. मयूरभंज की तटरेखा बंगाल की खाड़ी से मुड़ती है और मयूरभंज समुद्र तल से लगभग 1083 फीट की ऊंचाई पर स्थित है.यहां पर उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु देखने को मिलती है. गर्मी के दौरान मयूरभंज का औसत तापमान 37 डिग्री सेल्सियस तक रहता है.
मयूरभंज कैसे पहुंचे वायु मार्ग द्वारा:
बारीपाड़ा शहर मयूरभंज जिले का प्रमुख शहर है। बारीपाड़ा का निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जिसे कोलकाता के दम दम हवाई अड्डे के रूप में भी जाना जाता है; जो कि लगभग 195 किमी दूर है. इसके अलावा भुवनेश्वर का बीजू पटनायक हवाई अड्डा भी बारीपाड़ा से लगभग 207 किमी दूर है.
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झारखंड के बिरसा मुंडा (257 किमी) और सोनारी (133 किमी) हवाई अड्डा और राउरकेला हवाई अड्डा (282 किमी) भी मयूरभंज के निकट एयरपोर्ट में शामिल हैं.
रेल मार्ग द्वारा:
रेलवे स्टेशन की बात करें तो बारीपाड़ा हावड़ा-चेन्नई रेलवे कॉरिडोर से जुड़ा हुआ है.कोलकाता और भुवनेश्वर के लिए यहां नियमित ट्रेनें चलती हैं.
कोलकाता से फ्लाइट लेकर मयूरभंज के बारीपाड़ा तक ट्रेन से पहुंचना बेहतर रहता है। बारीपाड़ा अन्य भारतीय शहरों जैसे बालासोर, भुवनेश्वर, कोलकाता, कटक और जमशेदपुर से से जुड़ा हुआ है.
सड़क मार्ग द्वारा:
मयूरभंज में सड़क व्यवस्था काफी दुरुस्त है और मयूरभंज के कस्बों और शहरों में वातानुकूलित बसें चलती हैं. बालासोर से बारीपाड़ा 60 किमी, जमशेदपुर से 163 किमी, खड़गपुर से 103 किमी, कटक से 231 किमी, राउरकेला से 368 किमी और भुवनेश्वर से 255 किमी दूर है.संबलपुर, पुरी, बोलनगीर, झाड़ग्राम, अंगुल, रांची के साथ-साथ कोलकाता और ओडिशा राज्य के सड़क परिवहन निगम द्वारा नियमित बस सुविधा उपलब्ध है. इन नज़दीकी शहरों से आप निजी वाहन में भी मयूरभंज आ सकते हैं.
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मयूरभंज आने का सही समय
सितंबर से मार्च के बीच मयूरभंज आना सही रहता है. इन महीनों में मयूरभंज का मौसम बहुत सुहावना रहता है और पर्यटकों को घूमने भी आसानी होती है.
सिमलीपाल नेशनल पार्क
यह राष्ट्रीय उद्यान बारीपाड़ा के जिला मुख्यालय से केवल 17 किमी दूर है. यह अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान बड़े क्षेत्रफल में फैला हुआ है.यहां एक बाघ आरक्षित क्षेत्र भी है। सिमलीपाल के हरे-भरे जंगल और जानवरों की विशिष्ट विभिन्न प्रजातियां असंख्य पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करती हैं.इस नेशनल पार्क में घास के मैदान, पेड़ों पर कलकल करते अलग-अलग प्रजाति के पक्षी पर्यटकों का मन मोह लेते हैं. पार्क के अंदर टहलते हुए इस जगह के लुभावने दृश्यों का आनंद ले सकते हैं. बरेहिपानी और जोरंडा झरना देखना न भूलें.
लुलुंग
यह सिमलिपाल नेशनल पार्क के सबसे भव्य प्रवेश द्वार में से एक है और ये इस नेशनल पार्क की पूर्वी सीमा पर मौजूद है. अन्य वेलकम प्वाइंट जशीपुर से पड़ता है. लुलुंग सहायक नदी पालपाला के तट स्थित है. इस नदी में पूरे बारहमास जल बहता है. इस नदी का पानी इतना साफ है कि इसमें छोटा कंकड़ तक साफ दिखाई देता है.
यह भी दोनों तरफ से पुराने जंगलों से घिरा हुआ है. ये जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए बहुत खास है एवं सुंदर पिकनिक स्पॉट के रूप में कार्य करता है. लुलुंग रडार पर 300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां घूमने पर आपको मंत्रमुग्ध करने वाली पहाड़ियों के नज़ारे दिख सकते हैं. यह स्थान मयूरभंज से केवल 52 किमी दूर है. इस जगह की सरासर चमक प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग की तरह है.
देवकुंड झरना
यह सुंदर झरना सिमलीपाल फॉरेस्ट रेंज के उडाला डिवीजन में स्थित है. ये पंचलिंगेश्वर से उडाला या नीलगिरि के रास्ते से निकल सकता है. यह कुलडीहा से 69 किमी, बालासोर से 87 किमी और लुलुंग से 90 किमी दूर है. आप उडाला से देवकुंड तक जीप से आसानी से पहुंच सकते हैं जो कि देवकुंड से लगभग 28 किमी दूर है.
पंच कुंड में कुल पांच झीलें शामिल हैं. देवकुंड के अलावा, चार अन्य झरने झील या कुंड का निर्माण करते हैं. देवकुंड से 100 कदम आगे चलने पर नदी के स्रोत मिलते हैं। यहां पर एक मजबूत दुर्गा मंदिर या देवी अम्बिका माता का मंदिर भी स्थित है. आपको जानकर हैरानी होगी कि मयूरभंज के राजाओं ने सन् 1940 में इस मंदिरों का निर्माण करवाया था और आज भी इसमें पूरी श्रद्धा से पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं.
मंदिर के चारों ओर तितलियों और पक्षियों की मीठी चहचहाहट सुनने को मिलती ह. भारत के ओडिशा राज्य में मयूरभंज जिले के सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान में जोरांडा झरना भी स्थित है। यहां तक कि बेहरिपानी झरना भी जोरंडा झरने के करीब ही बहता है. यह भारत का 19वां सबसे ऊंचा झरना है.
देवग्राम
मयूरभंज के देवग्राम नामक एक लोकप्रिय गांव को देवगांव के रूप में जाना जाता है. ये गांव सोनो नदी के किनारे बसा है. इस गांव में अनेक प्राचीन मंदिरों के खंडहर देख सकते हैं, जिनमें शिवलिंगम, भगवान गणेश और देवी पार्वती के मंदिर शामिल हैं। इस गांव में पूरी श्रद्धा के साथ इन मंदिरों में स्थापित देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। देवगांव, बारीपाड़ा से 50 किमी की दूरी पर है और आप यहां पर अपने परिवार या दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने आ सकते हैं.
बैद्यनाथ मंदिर, मनात्रि
यह पवित्र निवास स्थल पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित है और ये जगह बारीपाड़ा से लगभग 40 किमी दूर स्थित है. मंदिर की भव्य वास्तुकला काफी आकर्षक है और यहां पर उड़िया लिपि में मयूरभंज राजपरिवार के चित्र एवं कथाओं को विस्तार से दीवारों पर उकेरा गया है जोकि यहां का सबसे बड़ा और खास आकर्षण है. तीन तरफ से पानी और एक तरफ से गंगाहर नदी से घिरा ये तेजस्वी मंदिर बहुत ही खूबसूरत लगता है. शिवरात्रि के दौरान विशेष रूप से इस मंदिर को सजाया जाता है। इस दौरान मंदिर में हज़ारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं.
खिचिंग
भंज की राजधानी खिचिंग है. ये बालासोर से लगभग 205 किमी और मयूरभंज से 111 किमी दूर है. इस जगह पर अनेक मंदिर स्थित हैं. इन मंदिरों में आज भी पूजा होती है. खिचिंग में मयूरभंज की प्रमुख देवी किचकेश्वरी की पूजा की जाती है.इस जगह पर स्थित मंदिर अद्भुत कला का उदाहरण हैं. क्लोराइट स्लैब से सजा यह पूरे भारत में अपनी तरह का एकमात्र स्थान है। मूर्तियों के सौंदर्य को देखकर श्रद्धालु अचंभित हो जाते हैं. खिचिंग में एक छोटा-सा संग्रहालय भी है जो मूर्तिकला और कला के विभिन्न ऐतिहासिक टुकड़ों को प्रदर्शित करता है.